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________________ टिप्पण (Notes & References) 267 160-I. आचारांगसूत्र, I.4.1.1-2 ...जे अईआ, जे य पडुप्पन्ना, जे य आगमेस्सा अरहंता भगवंतो ते सव्वे एवमाइक्खंति, एवं भासंति, ...सव्वे पाणा सव्वे भूता सव्वे जीवा सव्वे सत्ता ण हंतव्वा, ण अज्जावेयव्वा, ण परिघेतव्वा, ण परितावेयव्वा, ण उद्दवेयव्वा।। एस धम्मे सुद्धे णिइए सासए समिच्च लोयं खेत्तण्णेहिं पवेइए। II. सूत्रकृतांग, I.2.1.14 ...अविहिंसामेव पव्वए, अणुधम्मो मुणिणा पवेइओ।। III. सूत्रकृतांग, I.2.3.74 अभविंसु पुरा वि भिक्खवो, आएसा वि भविंसु सुव्वया। एयाइं गुणाई आहु ते, कासवस्स अणुधम्मचारिणो।। 161. नंदी, 5.126 इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं न कयाइ नासी, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ । भुविं च, भवइ य, भविस्सइ य। 162. आवश्यकनियुक्ति, 83-84, विशेषावश्यकभाष्य, 1094, iiil तव नियम-नाणरूक्खं, आरूढो केवली अमियनाणी। तो मुयति नाणवुटिं, भवियजणविबोहणट्ठाए।। तं बुद्धिमएण पडेण, गणहरा गिण्हितुं निरवसेसं। तित्थगरभासिताई, गंथंति तओ पवयणट्ठा।। 163. आवश्यकनियुक्ति, 86, विशेषावश्यकभाष्य, 1119 अत्थं भासति अरहा सुत्तं गंथंति गणहरा निउणं। सासणस्स हियट्ठाए ततो सुत्तं पवत्तई।। 164-I. समवायांग, 34.22 भगवं च णं अद्धमागहीए भासाए धम्ममाइक्खइ। II. औपपातिक, 71 ...अद्धमागहाए भासाए भासइ-अरिहा धम्म परिकहेइ। 165-I. समवायांग, 34.23 सावि य णं अद्धमागही भासा भासिज्जमाणी तेसिं सव्वेसिं आरियमणारियाणं दुप्पयचउप्पय-मिय- पसुपक्खि-सिरी-सिवाणं अप्पणो हिय-सिव-सुहदाभासत्ताए परिणमइ। II. भगवती, 9.33.149 सव्वभाषाणुगामिणीए सरस्सईए जोयणणीहारिया।
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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