SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 298
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ टिप्पण (Notes & References) 261 27. हयगजपरीक्षण, 28. पुरुषस्त्रीलक्षण, 29. हेमरत्नभेद, 30. अष्टादशलिपिपरिच्छेद, 31. तत्कालबुद्धि, 32. वास्तुसिद्धि, 33. कामविक्रिया, 34. वैद्यकक्रिया, 35. कुंभभ्रम, 36. सारिश्रम, 37. अंजनयोग, 38. चूर्णयोग, 39. हस्तलाघव, 40. वचनपाटव, 41. भोज्यविधि, 42. वाणिज्यविधि, 43. मुखमंडन, 44. शालिखंडन, 45. कथाकथन, 46. पुष्पग्रथन, 47. वक्रोक्ति, 48. काव्यशक्ति,49.स्फारविधिवश, 50. सर्वभाषाविशेष, 51. अभिधानज्ञान, 52. भूषणपरिधान, 53. भृत्योपचार, 54. गृहोपचार, 55. व्याकरण, 56. परनिरााकारण, 57. रन्धन, 58. केशबंधन, 59. वीणानाद, 60. वितंडावाद, 61. अंकविचार, 62. लोकव्यवहार, 63. अन्त्याक्षरिका, 64. प्रश्नप्रहेलिका। इति। XII. कामसूत्र, 1.3.15 तत्राप्यौपयिकी चतुःषष्टिमाह 1. गीतम्, 2. वाद्यम्, 3. नृत्यम्, 4. आलेख्यम्, 5. विशेषकच्छेद्यम्, 6 तण्डुलकुसुमवलिविकाराः, 7. पुष्पास्तरणम्, 8. दशनवसनांगरागः, 9. मणिभूमिकाकर्म, 10. शयनरचनम्, 11. उदकवाद्यम्, 12. उदकाघातः, 13. चित्राश्च, 14. योगाः माल्यग्रथनविकल्पाः, 15. शेखरकापीडयोजनम्, 16. नेपथ्यप्रयोगा, 17. कर्णपत्रभंगाः, 18. गन्धयुक्तिः, 19. भूषणयोजनम्, 20. ऐन्द्रजालाः, 21. कौचुमाराश्च योगाः, 22. हस्तलाघवम्, 23. विचित्रशाकयूषभक्ष्यविकारक्रिया, 24. पानकरसरागासवयोजनम्, 25. सूचीवानकर्माणि, 26. सूत्रक्रीडा, 27. वीणाडमरुकवाद्यानि, 28. प्रहेलिका, 29. प्रतिमाला, 30. दुर्वाचकयोगाः, 31. पुस्तकवाचनम्, 32. नाटकाख्यायिकादर्शनम्, 33. काव्यसमस्यापूरणम्, 34. पट्टिकावानवेत्रविकल्पाः, 35. तक्षकमणि, 36. तक्षणम्, 37. वास्तुविद्या, 38. रूप्यपरीक्षा, 39. धातुवादः, 40. मणिरागाकरज्ञानम्, 41. वृक्षायुर्वेदयोगाः, 42. मेषकुक्कुटलावकयुद्धविधिः, 43. शुकसारिकाप्रलापनम्, 44. उत्सादेन, 45. संवाहने केशमर्दने च कौशलम्, अक्षरमुष्टिकाकथनम्, 46. म्लेच्छितविकल्पाः, 47. देशभाषाविज्ञानम्, 48. पुष्पशकटिका, 49. निमित्तज्ञानम्, 50. यन्त्रमातृका, 51. धारणमातृका, 52. सम्पाठ्यम्, 53. मानसी काव्यक्रिया, 54. अभिधानकोशः, 55. छन्दोज्ञानम्, 56. क्रियाकल्पः, 57. छलितकयोगाः, 58. वस्त्रगोपनानि, 59. द्यूतविशेषः, 60. आकर्षक्रीडा, 61. बालक्रीडनकानि, 62. वैनयिकीनाम्, 63. वैजयिकीनाम्, 64. व्यायामिकीनां च विद्यानां ज्ञानम्, इति चतुःषष्टिरंगविद्याः। कामसूत्रस्यावयविन्यः।। 131. ऋग्वेद, 8.47.16 यथा कलां यथाशफम् यथा ऋणं संनयामसि। 132. कामसूत्र, विद्यासमुद्देशप्रकरण, पृ. 94 पर उद्धृत प्राचीदिक्कला। दाक्षिणादिक्कला। उदीचीदिक्कला।
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy