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________________ xviii जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद 4. क्षणिकवाद, 5. सांख्यमत, 6. नियतिवाद, 7. महावीरकालीन अन्य मतवाद, 8. उपसंहार-विभिन्न मतवादों की समालोचना एवं जैन दृष्टि से समीक्षा। प्रथम अध्याय का नाम महावीरकालीन सामाजिक और राजनैतिक स्थिति है, जिसमें सर्वप्रथम महावीर का समय (599-527 ई.पू.) रखा गया-भगवान महावीर जैन परम्परा के 24 वें तीर्थंकर हैं, तथा इनका जन्म 599 ई.पू. में हुआ तथा 527 ई.पू. में निर्वाण को प्राप्त किया। यह तथ्य परम्परावादियों तथा इतिहासकारों दोनों को मान्य है। इस हेतु जैकोबी की महावीरकाल निर्णय सम्बन्धी तथ्य रखे गये तथा चन्द्रगुप्त के राज्यारोहण तिथि से महावीरकाल को सिद्ध किया गया। दूसरे बिन्दु महावीरकालीन मतवाद में 600 ई.पू. के विभिन्न मतवादों का नामोल्लेख मात्र किया गया। इसके बाद तीसरे चोथे बिन्दु में महावीरकालीन समाज व्यवस्था और राजनीतिक स्थिति को बताया गया ताकि महावीरकालीन समाज, संस्कृति और राजनीति के अध्ययन- विवेचन से महावीरकालीन जैन धर्म की तथा उस युग के अन्य मत-मतान्तरों की स्थिति का भी स्वतः अंकन हो सकेगा। अगले बिन्दु में जैनागमों की भाषा और आगम वाचना से सम्बन्धित है। अध्याय के अन्त में महावीर के ग्यारह गणधरों के ग्यारह प्रश्नों पर विवेचन प्रस्तुत किया गया-ये ग्यारह प्रश्न प्रस्तुत शोध के मतवादों से सम्बद्ध है, इनके सम्बन्ध को दर्शाया गया। वास्तव में ग्यारह प्रश्न अन्वेषणीय हैं। क्योंकि वे उस समय सामान्य रूप से पूछे गये जो उस समय सामान्य विचार थे, किन्तु कुछ समय बाद वे जैन धर्म दर्शन के प्रमुख सिद्धान्त बन गए जिसे महावीर के अनुयायियों द्वारा विभिन्न दिशाओं में विकसित किया गया। शोध का द्वितीय अध्याय पंचभूतवाद से संबंधित है। इसमें सर्वप्रथम जैन आगमों में पंचभूतवाद की सामान्य चर्चा की गई-आगमों तथा जैन दार्शनिक ग्रंथों में भौतिकवादी सिद्धान्तों की चर्चा जो कि महावीर से लेकर आज तक अस्तित्व में है। जो पांच स्थूल तत्त्व (पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु और
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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