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________________ टिप्पण (Notes & References) 235 6. महाभारत, सभापर्व, 4.10-13 असितो देवलः......उपायनः.......पराशर्यश्च...... ।। महाभारत, सभापर्व, 7.10, 13 पराशरः.........।। 10 पराशर्यः........।। 13 महाभारत, आदिपर्व, 1.171, 174 तेभ्यश्चान्ये गताः पूर्वं राजानो बलवत्तराः। महारथा महात्मानः सर्वैः समुदिता गुणैः।।171 दंभोद्भवः परो वेनः सगरः संकृतिर्निमिः । अजेयः परशुः पुण्ड्रः शम्भुर्देवावृधोऽनद्यः।।174 9. निशीथभाष्य, गाथा, 4420 णिग्गंथ सक्क तावस, गेरूय आजीव पंचहा समणा। 10. स्थानांग, 7.140 ....महावीरस्स तित्थंसि सत्त पवयणणिण्हगा पण्णत्ता तं जहा-बहुरता जीवपएसिया, अवत्तिया, सामुच्छेइया, दोकिरिया, तेरासिया, अबद्धिया।।। दीघनिकाय, ब्रह्मजालसुत्त, 1.1, पृ. 14-39 (बौद्ध भारती वाराणसी प्रकाशन) पुब्बन्तानुदिट्ठि अट्ठारसहि वत्थूहि... अपरन्तानुदिट्ठि चतुचत्तारीसारी वत्थूहि... 1. सस्सतवादा, 2. एकच्च सस्सतवादा, 3. अनन्तानन्तवादा, 4. अमराविक्खेपवादा, 5. अधिच्चसमुप्पन्नवादा। 1. उद्धमाघातनिका सञ्जीवादा, 2. उद्धमाघातनिका असञ्जीवादा, 3. उद्धमाघातनिका नेवसञीनासञ्जीवादा, 4. उच्छेदवादो, 5. दिट्टधम्मनिब्बानवादो। 12. प्रज्ञापना, 1.88 ...कम्मभूमगा पण्णरसविहा पण्णत्ता, तं जहा-पंचहिं भरहेहिं पंचहिं एरवतेहिं, पंचहिं महाविदेहेहिं। 13. प्रज्ञापना, 1.88 ... ते समासतो दुविहा पण्णत्ता तं जहा-आरिया य मिलक्खू य। 14. आचारांगसूत्र, I.4.2.21 का भाष्य पृ. 218 आर्यः श्रेष्ठः, अनार्यः अश्रेष्ठः। ....यः अहिंसाधर्म न वेत्ति स अनार्यः । अस्य प्रतिपक्षी यः अहिसाधर्मं वेत्ति स आर्यः । 15-I. प्रश्नव्याकरण, I.1.21 कूरकम्बकारी इमे य बहवे मिलक्खुया, के ते?सक जवण सवर बब्बर काय मरुंड उड्ड भडग निण्णग पक्काणिय कुलक्ख गोड
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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