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________________ लेखक-परिचय नाम : डॉ. त्रिलोक चन्द्र कोठारी, - पिता (स्व.) श्रीमान् सोहनलाल जी कोठारी माता (स्व.) श्रीमती जड़ाव देवी काठारी जन्मभूमि : 'दूनी', जिला-टोंक (पाजस्थान - सहधर्मिणी : श्रीमती लाड देवी कोठारी 11 जून सन् 1927 ई. में सांस्कृतिक दृष्टि से सर्दाधिक समृद्ध राजस्थान प्रान्त में धार्मिक संस्कारों से ओतप्रोत परिवार में जन्मे बालक त्रिलोक चन्द्र के बारे में बाल्यावस्था से ही ज्योतिषविदों ने उनके अत्यन्त उज्ज्वल भविष्य की सूचना दे दी थी। सामान्य परिवार में जन्म लेने तथा मात्र चौथी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी नैतिक, आध्यात्मिक, व्यावसाधिक एवं शैक्षिक जगत् में आपने जिन क्षितिजों को पाया है, वे परिस्थितियों को देखते हये । अत्यन्त दुष्कर थे। भगवान् महावीर के 'अपरिग्रह' सिद्धान्त से अनुप्राणित गाँधीवादी एवं सर्वोदयी विचारधारा को अपनाकर अपने जीवन को 'सादा जीवन उच्च विचार' का अनुपम निदर्शन बनाया है। अपार आर्थिक उन्नति एवं विशाल औद्योगिक साम्राज्य स्थापित करके भी । उसका उपयोग देश की बेरोजगारी दूर करता और लोकहितकारी योजनाओं, विशेषत: शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में भहनीय कार्य करने में किया है। शिक्षा के प्रति वैयक्तिक समर्पण की पराकाष्ठा तब प्रतिफलित हुई, जब आपने लौकिक दायित्वों का सुन्दर निर्वाह करने के उपरान्त जीवन के आठवें दशक में कोटा मुक्त विश्वविद्यालय'। से पी.एच.डी. की शोध-उपाधि विधिवत् रूप से अर्जित की, जो कि एक विश्व कीर्तिमान है। आध्यात्मिक रूप से सुदृढ़तम चरित्र के धनी आप सदा से रहे हैं। यहाँ तक अपने दो युवा-पुत्रों के वियोगरूपी वज्रपात को समताभाव से सहन कर अपने लक्ष्य के प्रति और अधिक समर्पित हो गये। शारीरिक स्वास्थ्य की अनुकूलता न होते हुए भी उच्च मनोबल एवं गहन धार्मिक-आध्यात्मिक संस्कारों से आप सम्पन्न हैं विविध सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं, आयोजनों एवं कार्यक्रमों से सम्पृक्त रहे डॉ. त्रिलोक चन्द्र कोठारी जब जैनदर्शन और तत्त्वज्ञान को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित करने के लिए कृतसंकल्प हैं। पदेन आप अभी भी 1. ओम कोठारी फाउण्डेशन, 2. ओम कोठारी इन्स्टीट्यूट ऑफ इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी, 3. ओम कोठारी इन्स्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, 4. त्रिलोक उच्चस्तरीय अध्ययन अनुसंधान संस्थान, तथा 5. कोठारी उद्योग समूह के प्रमुख हैं।
SR No.032426
Book TitleBhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokchandra Kothari, Sudip Jain
PublisherTrilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan
Publication Year2001
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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