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________________ कृति-परिचय आधुनिक-विधि के लेखन में प्रत्येक -विधा और परम्परा को ऐतिहासिक दृष्टि से तथ्यपरक परिचय देने की शैली विकसित हुई है। लगभग प्रत्येक धार्मिक, दार्शनिक एवं अन्य ज्ञान-विज्ञान की धाराओं में इस श्रेणी की कृतियाँ लिखी गयी हैं। जैन-परम्परा में अंतिम तीर्थंकर भगवान् महावीर की परम्परा का ऐतिहासिक दृष्टि से तथ्यपरक परिचय देने वाली गम्भीर वैदुष्य एवं मत-मतान्तरों के उल्लेखनों से उत्कीर्ण कुछ कृतियाँ गत शताब्दी में लिखी गयी हैं; जो मात्र इतिहास की गहन जानकारी रखनेवाले विद्वानों के लिए ही विशेषतः उपयोगी हैं, तथा उनका विस्तार भी अधिक हुआ है। भाषा-शैली की दृष्टि से स्तरीय किन्तु सुबोधगम्य तथा अनतिविस्तार से युक्त यह कृति शोधार्थियों से लेकर सामान्य जिज्ञासुओं तक के लिये उपादेय है। 3. इसके पाँच खण्ड हैं, जिनके शीर्षक क्रमशः निम्नानुसार हैं 1. जैनधर्म की पृष्ठभूमि और भगवान् महावीर, 2. महावीरोत्तर युग और जैनाचार्य-परम्परा, जैन भट्टारक-परम्परा और उसका योगदान, 4. समसामयिक सन्दर्भों में महावीर की परम्परा, 5. विश्वभर में जैनधर्म का इतिवृत्त एवं वर्तमान स्थिति। इनके माध्यम से व्यापक विषयक्षेत्र का मर्यादितरूप में गरिमापूर्वक प्रस्तुतीकरण ही इस कृति का वैशिष्ट्य है।
SR No.032426
Book TitleBhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokchandra Kothari, Sudip Jain
PublisherTrilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan
Publication Year2001
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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