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________________ खण्ड-पचम विश्वभर में जैनधर्म का इतिवृत्त एवं वर्तमान स्थिति विदेशों में जैनधर्म एवं समाज अमेरिका, फिनलैण्ड, सोवियत गणराज्य, चीन एवं मंगोलिया, तिब्बत, जापान, ईरान, तुर्किस्तान, इटली, एबीसिनिया, इथोपिया, अफगानिस्तान, नेपाल, पाकिस्तान, आदि विभिन्न देशों में किसी न किसी रूप में वर्तमानकाल में जैनधर्म के सिद्धान्तों का पालन देखा जा सकता है। उनकी संस्कृति एवं सभ्यता पर इस धर्म का प्रभाव परिलक्षित होता है। इन देशों में मध्यकाल में आवागमन के साधनों का अभाव एक-दूसरे की भाषा से अपरिचित रहने के कारण, रहन-सहन, खान-पान में कुछ-कुछ भिन्नता आने के कारण हम एक-दूसरे से दूर हटते ही गये और अपने प्राचीन सम्बन्धों को सब भूल गये । अमेरिका में लगभग 2000 ईसापूर्व में संघपति जैन आचार्य 'क्वाजन कोटल' के नेतृत्व में श्रमण साधु अमेरिका पहुँचे और तत्पश्चात् सैकड़ों वर्षों तक श्रमण अमेरिका में जाकर बसते रहे। अमेरिका में आज भी अनेक स्थलों पर जैनधर्म श्रमण-संस्कृति जितना स्पष्ट प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। वहाँ जैन मंदिरों के खण्डहर, प्रचुरता में पाये जाते हैं। कतिपय हस्तलिखित ग्रन्थों में महत्त्वपूर्ण प्रमाण मिले हैं कि अफगानिस्तान, ईरान, ईराक, टर्की आदि देशों तथा सोवियत संघ के जीवन - सागर एवं ओब की खाड़ी से भी उत्तर तक तथा जाटविया से उल्लई के पश्चिमी छोर तक किसी काल में जैनधर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार था। इन प्रदेशों में अनेक जैन मंदिरों, जैन - तीर्थंकरों की विशाल मूर्तियों, धर्मशास्त्रों तथा जैन मुनियों की विद्यमानता का उल्लेख मिलता है । ' चीन की संस्कृति पर जैन संस्कृति का व्यापक प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। चीन में भगवान् ऋषभदेव के एक पुत्र का शासन था। जैन संघों ने चीन में अहिंसा व्यापक प्रचार-प्रसार किया था, अति प्राचीनकाल में भी श्रमण - सन्यासी यहाँ विहार करते थे हिमालय क्षेत्र आविस्थान को दिया और कैस्पियाना तक पहले ही श्रमण-संस्कृति का प्रचार- प्रसार हो चुका था । भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ OO 169
SR No.032426
Book TitleBhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokchandra Kothari, Sudip Jain
PublisherTrilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan
Publication Year2001
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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