SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 179
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ औषधालय आदि अनेकों कार्य नियमितरूप से संचालित हैं। जैन - साहित्य का प्रकाशन : भारतवर्षीय दिगम्बर जैन संघ, भारतीय ज्ञानपीठ, परिषद् पब्लिशिंग हाऊस, अहिंसा मन्दिर, वीरसेवा मन्दिर एवं ट्रस्ट, श्री गणेशवर्णी जैन-ग्रंथमाला, विश्व जैन-मिशन, त्रिलोक शोध संस्थान, पं. टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र, श्री महावीर जी, विद्वत् परिषद्, वीर - निर्वाणग्रंथ प्रकाशन-समिति, अनेकान्त साहित्य परिषद्, कुन्थसागर स्वाध्याय सदन, श्री वीतराग सत् - साहित्य प्रसारक ट्रस्ट, श्री जैन- संस्कृति संरक्षक- संघ, जीवराज जैन-ग्रंथमाला, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, भारत जैन - महामण्डल, जैन भवन कलकत्ता, दिगम्बर जैन पुस्तकालय सूरत, सेंट्रल पब्लिशिंग हाऊस, कुन्दकुन्द भारती ट्रस्ट, नई दिल्ली, आदि के द्वारा तथा अंग्रेजी - साहित्य, बैरिस्टर चम्पतराय जी एवं जे. एल. जैनी ट्रस्ट आदि से प्रकाशित हुआ । इनके अतिरिक्त अन्य संस्थाओं द्वारा भी साहित्य प्रकाशित हो रहा है। विकलांगों की सहायता : भारतीय विकलांगों की सहायता हेतु 'भगवान् महावीर विकलांग-समिति' के नाम से जयपुर में कार्य प्रारम्भ हुआ। अब यह संस्था विशाल रूप में कार्य कर रही है। इसकी कई स्थानों पर शाखायें चल रही हैं। जिनके द्वारा हर प्रकार से सहयोग दिया जा रहा है। धर्मचक्र : भगवान् महावीर के 2500वें निर्वाण - महोत्सव के उपलक्ष्य में देश के कोने-कोने में धर्मचक्रों के भ्रमण करके जो कार्य एवं धार्मिक - चेतना जगाई, उसकी सराहना जितनी भी की जाये कम है। इस योजना के प्रेरणा-स्रोत आचार्य विद्यानंद जी मुनिराज थे। 'अखिल - विश्व - जैन- मिशन' की स्थापना : समाज के प्रसिद्ध विद्वान् बाबू कामताप्रसाद जी ने जैन - साहित्य के प्रचार के लिये अखिल - विश्व - जैन- मिशन की स्थापना की थी। उन्होंने इसके लिये अग्रसर होकर कार्य किया, उनके निधन के बाद कार्य में शिथिलता आ गई। संस्था का नाम चल रहा है। इसका समाचारपत्र भी प्रकाशित होता है। शोधकार्य : अनेकों संस्थाओं द्वारा शोधकार्य हो रहे हैं। प्राचीन ग्रंथों के प्रकाशन भी हो रहे हैं। यह कार्य अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। जो संस्थायें यह कार्य कर रही हैं, वे बधाई की पात्र हैं। कर्मवीर भाऊराव पाटील : कर्मठ कार्यकर्त्ता जन- जनार्दन की सेवा में समर्पित कर्मवीर भाऊराव पाटील ने महाराष्ट्र प्रदेश के उस क्षेत्र में कार्य किया, जहाँ दिगम्बर जैन समाज अपना जीवन खेती व सादगी से व्यतीत करती थी । इनके कार्यों की प्रशंसा जितनी की जाये कम है। माँ श्रीकौशल जी : कौशल जी का दिगम्बर जैन समाज में महत्त्वपूर्ण स्थान है व अपनी विचारधारा से समाज को जोड़ने, कुरीतियों, आडम्बरों से दूर रहने की भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ 00 161
SR No.032426
Book TitleBhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokchandra Kothari, Sudip Jain
PublisherTrilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan
Publication Year2001
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy