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________________ अलबेली आम्रपाली ३०६ यह जानकर मगधपति को बहुत संतोष हुआ और वे चलते-चलते धनंजय के साथ वैशाली पहुंच गए। ___ कहीं उन्हें बाधा नहीं आई। वे सीधे सप्तभूमि प्रासाद में न पहुंचकर, एक पांथशाला में ठहरे। स्नान, भोजन आदि से निवृत्त होकर धनंजय सप्तभूमि की हलचल देखने के लिए अकेला गया। श्रेणिक उस छोटी-सी पांथशाला में विश्राम करने लगा। जिसके चरणों तले मगध का साम्राज्य है, जिसके खजाने में अपार सम्पत्ति पड़ी है, जिसके भवन में सुख-सुविधाओं के सारे साधन उपलब्ध हैं, जिसके चरणस्पर्श के लिए कौशलनंदिनी जैसी रूपवती और कमनीय रमणी अपने आपको धन्य मानती है, जिसकी पाकशाला में प्रतिदिन हजारों-हजारों व्यक्ति भोजन करते हैं, जिसके प्रत्येक वचन को पालने के लिए हजारों सेवक तत्पर रहते हैं, वह मगधेश्वर श्रेणिक आज अकेला एक छोटी-सी पांथशाला की छोटी कुटीर में सो रहा है। क्यों? जीवन के प्रथम प्रणय की विजेता रमणी के लिए ही तो ! एक स्त्री के लिए पुरुष को अपने गौरव को कितनी सीमा तक त्यागना पड़ता है ! किन्तु बिबिसार के मन में ऐसे विचार आते ही नहीं थे। उसके मन में केवल एक ही बात आ रही थी--"आम्रपाली बाहर से लौट आई होगी या नहीं ? प्रियतमा के हृदय में मेरा स्थान वही होगा या नहीं? मधुर मिलन की कविता पुन: गूंजेगी या नहीं? इन प्रश्नों से वह स्वयं आत्म-विभोर हो रहा था । वह भूल गया था कि वह एक सामान्य श्रेणिक नहीं, मगध का अधिपति बिंबिसार श्रेणिक आम्रपाली की स्मृति के साथ-साथ उसके मन में नंदा की स्मृति भी उभर आई थी परन्तु वहां का कोई समाचार आज तक प्राप्त नहीं हुआ था। स्वयं ने भी तो समाचार प्राप्ति का कोई प्रयास नहीं किया था। उसके मन में यह संशय भी था कि प्रसूति में मां और बालक दोनों मृत्यु के ग्रास बन गए होंगे."किन्तु यदि ऐसा होता तो सामाचार अवश्य आता 'आदि-आदि । ___ इस प्रकार अनेक विचारों, चिन्ताओं और प्रश्नों के मध्य मगधेश्वर अपना भान भूल जाता था। ___इतने में धनंजय वहां आ पहुंचा। उसने आते ही कहा-"महाराज ! यह क्या? बिना बिछाए ही...?" "अच्छा, तू आ गया !" यह कहकर श्रेणिक उठ बैठे और कहा- "एक ब्राह्मण पथिक को धरती ही शय्या रूप होती है। 'तूने क्या किया ?"
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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