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________________ ३०२ अलबेली आम्रपाली कौशल की राजकन्या के साथ बिंबिसार का विवाह हो गया । यह बात समग्र पूर्व भारत में हवा की तरह फैल गई । उज्जयिनी का नरेश चंडप्रद्योत कौशल नरेश की कन्या को अपनी अंकशायिनी बनाना चाहता है, क्योंकि कौशलनंदिनी रूप और तेज में बेजोड़ थी । जब उसने बिबिसार के साथ उसके विवाह हो जाने की बात सुनी तब वह बहुत खिन्न हुआ । नंदा और धनदत्त सेठ के कानों तक भी यह बात पहुंची । नंदा ने यह बात सुनते ही एक निःश्वास छोड़ा और उसे इस सत्य का साक्षात्कार हो गया कि पुरुष सदा अपने वादे से मुकर जाता है । धनदत्त सेठ का पुत्र, सकुशल घर लौट आए । पुत्रवधू और छोटा पौत्र जो यवद्वीप में जन्मा था, सब सभी के मन में नंदा के प्रति बहुत आदरभाव था और वे तेजस्वी भानेज अभयकुमार को क्षणभर के लिए भी दृष्टि से ओझल नहीं करते थे । ने ... नंदा का स्वामी बिंबिसार मगध का सम्राट बनेगा, यह बात परिवार के सभी लोग जानने लगे थे । किन्तु नंदा स्पष्ट कहा था कि इस प्रसंग में कुछ भी प्रयत्न करने की आवश्यकता नहीं है मैं माता-पिता, भाई-भाभी के बीच सुख पूर्वक हूं. कल अभय बड़ा हो जाएगा मेरा धर्म है कि मैं अपने पुत्र के व्यक्तित्व का निर्माण करूं और उसे महामानव बनाऊं मैं प्रतीक्षा कर सकती हूं परन्तु अधिकार की याचना कभी नहीं करूंगी। । पुत्री के इन निश्चयात्मक विचारों को सुनकर धनदत्त सेठ कुछ नहीं बोले । उसका भाई श्रीदत्त भी अपनी बहन के विचारों से सहमत था । बिंबिसार मगधपति बन गए हैं और उन्होंने कौशलनंदिनी के साथ विवाह कर लिया है. यह बात वैशाली में वायुवेग से प्रसृत हो गयी । देवी आम्रपाली ने जब यह बात सुनी, तब वह जोर से हंस पड़ी । ऐसी हंसी देखकर माविका आश्चर्य में पड़ गई जिसका हृदय प्रतिक्षण बिंबिसार के लिए तड़फ रहा था, उस हृदय में इतना हास्य कैसे ? वह बोली - "देवि ! आप हंस रही हैं ? ' " माधु ! हंसने की बात पर तो हंसी ही आएगी । महाराज मगधेश्वर बने, यह क्या कम आनन्द की बात है ? उन्होंने कौशलेश्वर की सुन्दर कन्या से साथ विवाह किया, क्या यह अयोग्य बात है ? और कभी जिसको प्राणेश्वरी कहते थे, जिसके बिना क्षण बिताना भी भारी होता था, उस जनपदकल्याणी को भूल जाना क्या छोटी बात है ? माधु ! तूने समझा होगा कि इन समाचारों से मुझे दुःख होगा ! परन्तु अब दुःख की परछाई भी मेरे जीवन से चली गई है। मैं हूं वैशाली की जनपदकल्याणी ! अतीत को भूल जाना मेरी कला है । मेरा आनन्द अतीत में
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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