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________________ २२८ अलबेली आम्रपाली भयंकर अभिशाप से मुक्त कर सकते हैं। इसी एक आशा को संजोकर मैं आपके चरणों में आई हूं।" गोपालस्वामी ने सारी बात शांति से सुनी। वे विचारों में डूब गए । लगभग अर्ध घटिका के मौन के पश्चात् कादंबिनी ने पूछा - "कृपालु ! क्या मैं विषमुक्त हो सकूंगी ?" गोपालस्वामी ने गंभीर होकर कहा - " अवश्य ही हो सकोगी ।" ये शब्द सुनते ही कादंबिनी अपने आसन से उठी और गोपालस्वामी के चरणों में लेट गई। गोपालस्वामी ने उसके मस्तक पर हाथ रखकर कहा" पुत्रि ! तू अवश्य ही विषमुक्त हो सकेगी । प्रयोग दुष्कर है। कदाचित् " "क्या ?" ..." - " मृत्यु भी हो सकती है।" "मैं मृत्यु को सहर्ष स्वीकार करूंगी। इस अभिशप्त जीवन से मौत मुझे अच्छी लगेगी ।" कादंबिनी ने भावभीने स्वर में कहा । "अपना दायां हाथ लम्बा कर ।" आचार्य ने कहा । I कादंबिनी ने दायां हाथ लम्बा किया । गोपालस्वामी ने नाड़ी परीक्षण करना प्रारम्भ किया । लगभग अर्ध घटिका तक वे नाड़ी परीक्षण करते रहे । उस समय उनकी आंखें बन्द थीं। ऐसा लग रहा था मानो वे नाड़ी के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर दोष की खोज कर रहे हैं। अर्ध घटिका के बाद उन्होंने आंखें खोलों और प्रसन्न मुद्रा में कहा - " पुत्रि ! जो मौत से नहीं डरता वह जीवन का स्वामी बन जाता है। आचार्य अग्निपुत्र समर्थ वैज्ञानिक हैं । उन्होंने तेरे पर अपूर्व प्रयोग किया है, इस प्रकार की विषकन्या का निर्माण कोई नहीं कर सकता. " किन्तु तेरी काया में व्याप्त विष को अवश्य ही दूर किया जा सकता है । परन्तु "। " " क्या ?" " कम-से-कम तीन मास तो तुझे यहां रहना ही होगा। पहले मैं तेरी काया पर पंचकर्म का प्रयोग करूंगा फिर विष का निवारण करूंगा तुझे इस आश्रम में ही रहना होगा | यहां कोई स्त्री नहीं है, फिर भी मैं सारी व्यवस्था कर दूंगा ।" "आप कहेंगे तो मैं पुरुषवेश में ही रह जाऊंगी ।" "नहीं, ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है । प्रयोगकाल में तेरा लिंग छुपा नहीं रह पाएगा । तू कल प्रथम प्रहर की एक घटिका के बाद यहां आ जाना । मैं तेरे लिए सारी व्यवस्था कर रखूंगा । चार-छह दिन बाद किसी शुभमुहूर्त्त में मैं तेरे पर प्रयोग प्रारम्भ करूंगा ।" .. " आपके इस आश्वासन से मैं धन्य बन गई । मैं कल ही यहां आश्रम में आ जाऊंगी ।"
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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