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________________ अलबेली आम्रपाली २०६ सभी रात्रि के तीसरे प्रहर में अपने-अपने घर चले गए। बुद्धिमती कादंबिनी अत्यन्त सावचेत थी। उसने अपनी निर्धारित योजना को क्रियान्वित करने का निश्चय कर डाला। दूसरे दिन प्रातः वह यक्ष मन्दिर में गयी और एक रक्षक को साथ ले वहां से नौ-दो-ग्यारह हो गयी। उसने साथ में पर्याप्त स्वर्ण भी ले लिया था। वृद्ध नियामक तथा मुख्य परिचारिका लक्ष्मी ने यही माना कि कादंबिनी राजगृह की ओर गयी है। किन्तु कादंबिनी ने चम्पा नगरी पहुंचने का ही निर्णय किया था। और वह उसी ओर चल पड़ी थी। एक रात सुखपूर्वक बीत गई । दूसरे दिन लक्ष्मी पुनः भवन की दासियों के साथ यक्ष मन्दिर में आ गयी। कादंबिनी द्वारा निर्मित योजना के अनुसार दो-तीन घटिका बीत जाने पर लक्ष्मी ने चिल्लाना प्रारम्भ कर दिया और साथ वाले सभी रोते-चिल्लाते दक्षिण द्वार की ओर दौड़े। 'लक्ष्मी ने सफल अभिनय के साथ यह बताया कि अभीअभी दो अश्वारोही युवक देवी कादंबिनी का अपहरण कर गए हैं । लक्ष्मी ने द्वाररक्षकों के समक्ष यह शिकायत रोते-चिल्लाते की। सभी नगर-रक्षक के भवन पर तत्काल आए। उस समय नगर-रक्षक कहीं बाहर जाने की तैयारी कर रहे थे। वहां पहुंचकर वृद्ध नियामक ने तथा लक्ष्मी दीदी ने कादंबिनी के अपहरण की घटना नगर-रक्षक के समक्ष रखी और कहा"श्रीमन् ! हम तो दिन-दहाड़े लुट गए। अब हमारा रक्षक कौन होगा ? हमारी देवी अब हमें कब मिलेंगी?" अभी तो नगर-रक्षक विषकन्या को पकड़ने तथा षड्यन्त्रकारी की खोज करने का अभियान आज से शुरू करने वाले थे। वहां यह एक नया उत्पात सामने आ गया। नगर-रक्षक ने सोचा-'देवी कादंबिनी का अपहरण करने वाला है कौन ?' दोनों को आश्वस्त कर नगर-रक्षक ने घटना का पूरा विवरण जानना चाहा । लक्ष्मी दीदी ने इतना मात्र कहा--"देवी कादंबिनी ने यक्ष-मन्दिर पर नैवद्य चढ़ाने का सप्त दिवसीय व्रत ग्रहण किया था । दूसरे दिन वे मन्दिर में गयीं । हम सब उनके साथ थे। देवी ने नैवेद्य का थाल चढ़ाया. 'नमस्कार कर मन्दिर से बाहर निकलीं। उस समय दो अश्वारोही युवक आए और देवी का बलपूर्वक अपहरण कर दक्षिण की ओर भाग गए। कृपावतार ! इस परायी धरती पर अब हमारा क्या होगा? अब आप किसी भी उपाय से देवी कादबिनी को दुष्टों के पंजों से छुड़ाएं। नगर-रक्षक के सामने नयी चिन्ता खड़ी हो गयी।
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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