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________________ १८२ अलबेली आम्रपाली कन्या का मुख देखेगी तो तेरी मृत्यु होगी । अथवा तुझे किसी-न-किसी रोग से आक्रान्त होना होगा । कन्या के जन्म के दो मास बीतने पर तुझे कन्या का त्याग करना होगा और जब तक कन्या सोलह वर्ष की नहीं हो देख नहीं पाए, ऐसी व्यवस्था भी करनी होगी ।" जाएगी तब तक तू उसे "ओह !" कहकर आम्रपाली अत्यन्त निराश हो गयी । देवानन्दाचार्य बोले - "बेटी ! यदि गणित में मात्र एक अंश का अन्तर आ तो तेरी कुक्षिराजसिंहासन पर बैठने वाला महान् पुत्र जन्म लेता । मुझे प्रतीत होता है कि वृद्ध नैमित्तिक ने इस एक अंश के संशय के आधार पर कुछ स्पष्ट न कहा हो।" 1 "आचार्यदेव ! क्या आपने गणित का ठीक परीक्षण कर लिया ?" बिंबिसार ने पूछा । "हां, महाराज! मैंने तीन बार उसकी तपास कर ली है। मैंने जो भविष्यफल कहा है, उसमें तनिक भी संशय नहीं है । इस प्रश्नगणित के विश्वास के लिए मैं ताडपत्र पर भविष्यफल लिखकर अभी दूंगा । कन्या कैसी होगी, यह सारा मैं उसमें बताऊंगा । पर शर्त एक ही है कि कन्या के जन्म के पश्चात् ही उसे पढ़ना होगा।" "क्यों, महाराज ?" "तभी आपको मेरे कथन पर विश्वास होगा ।" ऐसा विचित्र भविष्यफल सुनकर आम्रपाली अत्यन्त हताश हो गयी । बिबिसार ने पूछा - " पिता को कन्यामुखदर्शन से कोई दोष तो नहीं लगेगा ?" "नहीं, महाराज ! परन्तु जब आप पुनः देवी आम्रपाली से मिलेंगे तब आपकी कन्या यहां नहीं मिलेगी और आप अपनी कन्या को पूर्ण यौवन अवस्था में ही देख पाएंगे ।" देवानन्द ने स्पष्ट कहा । युवराज बिंबिसार और आम्रपाली - दोनों कुछ क्षणों के लिए विषण्ण हो गए। फिर उन्होंने स्वर्ण मुद्राएं भेंट स्वरूप देकर आचार्य को विदाई दी। आचार्य के जाने के पश्चात् बिबिसार ने आम्रपाली से कहा - "पाली ! भविष्यवाणी की चिन्ता मन में नहीं रखनी चाहिए।" "महाराज ! आचार्य देवानन्द ज्योतिषशास्त्र के प्रकाण्ड आचार्य हैं । इनका कथन कभी अन्यथा नहीं होता ।" आम्रपाली ने कहा । fafaसार ने प्रियतमा की निराशा को मिटाने के लिए इस बात को छोड़कर अन्य चर्चा प्रारम्भ की। गुरुवार की रात्रि का अन्तिम प्रहर चल रहा था ।
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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