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________________ मन, वाणी और शरीर तीनों का अपना स्वतंत्र कार्य है। इनकी क्रियाओं में अध्यवसाय, निमित्त है। मन को सक्रिय करने वाला अध्यवसाय, वाणी का प्रवर्तन करने वाला अध्यवसाय और शरीर का संचालन करने वाला अध्यवसाय तीनों का स्वतंत्र सहयोग है। मन का महत्त्व है, पर वह सब कुछ नहीं। संदर्भ सूचि 1 जैन दर्शन : मनन और मीमांसा; पृ. 513 2. भगवती; 13/126 आया भंते ! मणे अन्ने मणे ? गोयमा ! णो आया मणे, अण्णे मणे, मणिजमाणे मणे.....॥ 3. मनोनुशासनम्, पृ. 19 4. श्री भिक्षु आगम विषय कोश; पृ. 508 5. न्याय सूत्र; 3/2/6 6. वैशेषिक सूत्र, 7/1/123 7. सन्मति तर्क प्रकरण; पृ. 151 8. माठर कारिका; 27 9. तर्क संग्रह; पृ.54 सुखाद्युपलब्धि साधनमिन्द्रियं मनः। 10. वात्स्यायन भाष्य; 1/1/16 11. न्याय सूत्र; 1/1/16 12. सन्मति तर्क प्रकरण काण्ड की टीका; 2 13. प्रमाण मीमांसा, भाषाटिप्पणानि; पृ. 44 14. योग शास्त्र; 5/2 15. जैन दर्शन में आत्म विचार; पृ. 9 16. योग वार्तिक; पृ. 349 17. दर्शन और चिन्तन; भाग 1; पृ.140 18. भगवती;.13/7/494 19. (क) तत्त्वार्थभाष्यानुसारिणी टीका; पृ. 156 (ख) सूत्रकृतांग वृति; 1/12 सर्व-विषयमन्त:करणं युगपज्ज्ञानानुत्पति लिंगमनः, तदपि द्रव्यमन : पौद्गलिकमजीव ग्रहणेन गृहीतम् भाव-मनस्तु आत्मगुणत्वात् जीव ग्रहणेनेति....। 392 अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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