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________________ 133. ठाणं; 4 / 1-4 चत्तारि अन्तकिरियाओ, पण्णत्ताओ तं जहा तत्थ खलु इमा पढमा अन्तकिरिया... तहव्वगोर पुरिसज्जाते दीहेणं परियाएणं सिज्झंति बुज्झति मुच्वंति परिणिव्वायंति सव्वदुक्खाणमंतं करेइ, जहा से भरहे राया चाउरंत चक्कवट्टी - पढम अंत-किरिया ... । - 134. समवायांग वृत्ति; पत्र 36 135 गोम्मटसार ( जीवकाण्ड) ; 10 136. जैन दर्शन का समीक्षात्मक अनुशीलन, भाग-1, पृ. 192 137. जैन कर्मसिद्धान्त और मनोविज्ञान; पृ 230 138. समवायांग; पत्र 26 139. गोम्मटसार; गा. 31 140. (क) वही; गा. 50 (ख) वही; गा. 51 141 जैन दर्शन का समीक्षात्मक अनुशीलन, भाग-1 पृ. 207, (साध्वी नगीना कृत) 142. राजेन्द्र ज्योति; पृ 83 143. स्थानांग; 3/3/190 144. (क) वही; 3 / 418 (ख) उत्तराध्ययन; 29/28 वोदाणं भंते! जीवे किं जणय । गोयमा ! वोदाणेणं अकिरियं जणय । (ग) भगवती भाष्य; 2/5/111, साणं भंते ! अकिरिया किंफला ? सिद्धि संगहणी गाहा पज्जवसाण फला पण्णत्ता गोयमा ! सवणे णाणेय, विण्णाणे, पच्चभक्खाणे य संजमे। अणण्हए तवे चेव, वोदाणे अकिरिया सिद्धी । 145. क्रियाकोश, पृ. 196 146. भगवई, भाष्य ; 3 / 143-148 147. (क) प्रज्ञापना पद; 36 (ख) ठाणांग, 8 / 114 पृ. 840 148. आवश्यक, मलयगिरि वृत्ति; पत्र 536 149. भगवती भाष्य 7 / 10-15 150. तत्त्वार्थ सूत्र; 10/6, 276 पूर्वप्रयोगाद्, असंगत्वाद् बंधच्छेदात् तथागतिपरिणामाच्च तद्गतिः । 151. आचारांग; 4/12 अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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