SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रस्तुत ग्रन्थ की यह विशेषता है कि इसमें जैन दर्शन के एक मुख्य विषय पर शास्त्रीय दृष्टि से ऐसा प्रामाणिक अध्ययन प्रस्तुत किया गया जो भारतीय दर्शन के सामान्य अध्येताओं के लिये तो नितान्त नवीन है ही जैन दर्शन के अध्येता भी इस ग्रन्थ के प्रत्येक पृष्ठ पर कुछ न कुछ नया अवश्य पायेंगे। बहुत से शोध ग्रन्थों में जो आजकल प्रचारात्मक प्रवृत्ति दिखायी देती है, उसका इस ग्रन्थ में अभाव है। शोधार्थियों के लिये यह बात अनुकरणीय है। शोधार्थी का कार्य तथ्यों को सही परिप्रेक्ष्य में युक्ति संगत ढंग से प्रस्तुत कर देना है, प्रशस्तिपरक गुणगान करना उसका कार्य नहीं है। उसे किसी सिद्धान्त की गुणवत्ता का मूल्यांकन पाठक पर छोड़ देना चाहिये न कि अपनी मान्यता पाठक पर थोपनी चाहिये। डॉ. साध्वी गवेषणाश्रीजी इस नियम का पालन किया है। इसके लिये वे साधुवाद की पात्र हैं। प्रो. दयानन्द भार्गव पूर्व विभागाध्यक्ष, जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म तथा दर्शन विभाग जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, लाडनूँ (राजस्थान)
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy