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________________ उनका निरूपण न्याय के पांच अवयवों-प्रतिज्ञा, हेतु, दृष्टान्त, उपनय और निगमन के द्वारा किया है। (1) प्रतिज्ञा - अप्रतिहत और अप्रत्याख्यात् क्रिया सम्पन्न आत्मा पापानुबंधी होती है। (2) हेतु - छह जीव - निकायों में जीव निरन्तर व्यतिपात चित्तवाला होता है। ( 3 ) दृष्टान्त - राजा गृहपति को मारनेवाला है। (4) उपनय - जैसे वधक हिंसक परिणामों से अनिवृत्त होने के कारण वध्य के लिये अमित्रभूत है, वैसे ही विरति के अभाव में आत्मा सभी जीवों के अतिपात - अध्यवसाय वाला होता है। (5) निगमन - आत्मा की उपर्युक्त स्थिति है, इसलिये आत्मा या जीव पापानुबंधी है। अप्रत्याख्यानी के कर्म-बंध और फल- विपाक की चर्चा के पश्चात् प्रश्न उठता है कि प्राणी संयत-विरत - प्रतिहत-प्रत्याख्यात पापकर्मा कैसे हो सकता है ? समाधान यह है कि जैसे अप्रत्याख्यानी के लिये षड् जीवनिकाय संसार-भ्रमण में निमित्त है वैसे ही प्रत्याख्यानी के लिये वह मोक्ष का हेतु है। भव-भ्रमण के जितने हेतु हैं उतने ही मोक्ष के। दोनों तुल्य है। इस प्रसंग में सुप्रत्याख्यान और दुष्प्रत्याख्यान के विषय में गौतम - महावीर संवाद भी मननीय हैसुप्रत्याख्यान- दुष्प्रत्याख्यान क्रिया गौतम ने पूछा- भंते! कोई पुरुष कहता है मैंने सब प्राण- भूत-जीव और सत्त्वों के वध का प्रत्याख्यान किया है। उसका वह प्रत्याख्यान, सुप्रत्याख्यान होता है अथवा दुष्प्रत्याख्यान । गौतम ! जो पुरुष ऐसा कहता है, उसका प्रत्याख्यान कभी सुप्रत्याख्यान होता है और कभी दुष्प्रत्याख्यान होता है। भगवान महावीर एकान्तवादी नहीं थे। उन्होंनें वस्तु-सत्य का प्रतिपादन नय अथवा सापेक्ष दृष्टि के आधार पर किया है। प्रत्याख्यान को निरपेक्ष दृष्टि से समीचीन - असमीचीन कुछ भी नहीं कहा जा सकता। कोई व्यक्ति जीव और अजीव को नहीं जानता। जीव विषयक उसका ज्ञान स्पष्ट नहीं है। वह सब जीवों के वध के प्रत्याख्यान का पालन कैसे कर सकेगा। 127 यहीं कारण है कि उसका प्रत्याख्यान दुष्प्रत्याख्यान है। इससे विपरीत सुप्रत्याख्यान है। अभयदेवसूरि का भी यही अभिमत है कि जीवाजीव के सम्यक् ज्ञान के क्रिया के प्रकार और उसका आचारशास्त्रीय स्वरूप 75
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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