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________________ स्यात् 5 स्यात 3 सामान्य रूप से एक जीव की अन्य जीव के प्रति क्रिया जीव अन्य जीव के प्रति स्यात् 3|स्यात् 4 स्यात् 5 | स्यात् अक्रिय नारक यावत् स्तनित कुमार के प्रति स्यात् 3 स्यात् 4 स्यात् : स्यात् अक्रिय पृथ्वीकाय यावत् मनुष्य के प्रति | स्यात् 3 स्यात् 4 स्यात् 5 स्यात् अक्रिय वाणव्यंतर,ज्योतिषी,वैमानिक के प्रति | स्यात् 3 स्यात् 4 स्यात् 5 | स्यात् अक्रिय एक नारक यावत् एक देव के प्रति | स्यात् 3 स्यात् 4 स्यात् 5 | स्यात् अक्रिय अनेक जीव की एक जीव के प्रति | स्यात् 3| स्यात् 4| स्यात् 5 | स्यात् अक्रिय नारक जीव की अन्य जीव के प्रति क्रिया नारक की किसी एक जीव के प्रति स्यात् 3 | स्यात् 4 नारक का किसी एक नारक के प्रति स्यात् 3 |स्यात् 4 | स्यात् 5 नारक, देव अतिरिक्त अन्य जीव के प्रति स्यात् 5 नारक का किसी एक देव के प्रति स्यात् 3 | स्यात् 4 | स्यात् 5 नारक का किसी भी नारक या देव के प्रति स्यात् 3 |स्यात् 4 | स्यात् 5 असुरकुमार व मनुष्य को छोड़कर अन्य सभी दण्डक के जीवों के विषय में नारक की तरह ही उपर्युक्त 4-4 आलापक ज्ञातव्य हैं। मनुष्य के सम्बन्ध में तीन - चार - पांच क्रियाएं होती हैं और कभी मनुष्य अक्रिय भी होता है।93 जीव और नारक के परकीय औदारिक शरीर की अपेक्षा से क्रियाएं जीव परकीय औदारिक शरीर | स्यात् 3 स्यात् 4 स्यात् 5 स्यात्अक्रिय की अपेक्षा नारक परकीय औदारिक शरीर | स्यात् 3| स्यात् 4 | स्यात् ।। की अपेक्षा असुर कुमार यावत् वैमानिक देव | स्यात् 3 | स्यात् 4 | स्यात् 5 परकीय औदारिक शरीर की अपेक्षा मनुष्य परकीय औदारिक शरीर स्यात् 3 स्यात् 4 स्यात् 5 | स्यात् अक्रिय की अपेक्षा गौतम स्वामी ने महावीर से पूछा- भगवन् ! एक जीव को बहुत जीवों के शरीर 64 अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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