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________________ प्रत्यया मानप्रत्यया क्रिया के दो प्रकार अनाभोगप्रत्यया अनवकांक्षाप्रत्यया अनायुक्त आदानता अनायुक्त प्रमार्जन आत्मशरीर अनवकांक्षा परशरीर अनवकांक्षा क्रिया के दो प्रकार प्रेय : प्रत्यया दोष प्रत्यया माया प्रत्यया लोभप्रत्यया क्रोध प्रत्यया तृतीय वर्गीकरण तत्त्वार्थसूत्र पर आधारित पच्चीस क्रियाएं निम्नानुसार है1. सम्यक्त्व क्रिया 2. मिथ्यात्व क्रिया 3. प्रयोग क्रिया 4. समादान क्रिया 5. ईर्यापथ क्रिया 6. कायिकी क्रिया 7. आधिकरणिकी क्रिया 8. प्रादोषिकी क्रिया 9. पारितापनिकी क्रिया 10. प्राणातिपातिकी क्रिया 11. दर्शन क्रिया 12. स्पर्शन क्रिया 13. प्रात्ययिकी क्रिया 14. समन्तानुपातन क्रिया 15. अनाभोग क्रिया 16. स्वहस्त क्रिया 17. निसर्ग क्रिया 18. विदारण क्रिया 19. आज्ञाव्यापादिकी (आनयन) क्रिया 20. अनवकांक्षा क्रिया 21. आरम्भ क्रिया 22. पारिग्रहिकी क्रिया 23. माया क्रिया 24. मिथ्यादर्शन क्रिया 25. अप्रत्याख्यानक्रिया अन्य क्रियाएं __आचार्य महाप्रज्ञ के अनुसार क्रिया की व्याख्या के संदर्भ में दो परम्परा रही हैं। एक परम्परा आगमिक व्याख्या के परिपार्श्व की है जिसका अनुसरण स्थानांग के वृत्तिकार अभयदेव सूरि ने किया है। दूसरी परम्परा तत्त्वार्थ भाष्य के आधार पर विकसित हुई है। इस परम्परा में दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों के आचार्य लगभग समान रेखा से गुजर रहे हैं। अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया 46
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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