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________________ वह धर्मवान - समता से नाता जोड़ लिया वह ब्रह्मवान - उसने जग से मन मोड़ लिया वह परम तत्त्व का संतानी आयारो की अर्हत् वाणी ॥ बोधि प्राप्ति के निमित्त कारण ६ १. अनुकंपा अकामनिर्जरा २. ३. बाल तप ४. दान ५. विनय ६. विभंग अज्ञान ७. संयोग - विप्रयोग ८. व्यसन-कष्ट ६. उत्सव १०. ऋद्धि, ११. सत्कार बोधि प्राप्ति के उपाय २. १. दृष्ट ( देखने से ) - श्रेयांस ने भगवान ऋषभ के दर्शन से बोधि प्राप्त की । श्रुत ( सुनने से ) - आनंद और कामदेव ने सुनकर बोधि प्राप्त की । ४. ३. अनुभूत ( अनुभूति से ) - वल्कलचीरी को पिता के उपकरणों से बोधि प्राप्त हुई । क्षय (कर्मों के क्षय से) - चंडकौशिक को कर्मों के क्षय से बोधि प्राप्त हुई । ५. उपशम ( कर्मों के उपशम से) - अंगऋषि को कर्मों के उपशम से बोधि प्राप्त हुई । बोधि (सम्यक्त्व) के लक्षण" शम-क्रोध आदि कषायों की शांति । १. २. संवेग - मोक्ष की अभिलाषा । ३. निर्वेद - संसार से विरक्ति । ४. आस्तिक्य- आत्मा कर्म आदि में विश्वास । ५. अनुकंपा - प्राणीमात्र के प्रति दयाभाव । उपरोक्त इन्हीं तत्त्वों को कर्मबंध और मुक्ति की प्रक्रिया में निम्न प्रकार से उल्लेखित किया गया है - लोगस्स के संदर्भ में बोधि लाभ की महत्ता / ७
SR No.032419
Book TitleLogassa Ek Sadhna Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyayashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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