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________________ यह पुरुषों में जननेन्द्रिय एवं गुदा के बीच और स्त्रियों में योनि - ग्रीवा के पास स्थित है। मूलाधार चक्र का संबंद्ध घ्राणेन्द्रिय से है । इसका प्रतीक चार पंखुड़ियों वाला गहरे लाल रंग का कमल है। इसके केन्द्र में पीला चतुर्भुज है, जो पृथ्वी तत्त्व का यंत्र है। इसका बीजमंत्र 'लं' है । चतुर्भुज के केन्द्र में शक्ति का प्रतीक रक्तवर्णी त्रिभुज है, जिसका शीर्ष नीचे की ओर है । इस चक्र में पृथ्वी तत्त्व है आन्तरिक स्थिरता एवं संतुलन की प्राप्ति हेतु मूलाधार चक्र पर ध्यान करने के लिए शक्ति एवं दृढ़ता के प्रतीक लाल अधोमुखी त्रिकोण या पीले वर्ण पर दृष्टि केन्द्रित करें । 1 जप इस चक्र पर सुविधिनाथजी का ध्यान अथवा जप करने से सुखों की उपलब्धि होती है । णमो अरहंताणं का जप इस चक्र पर करने से आसक्ति, लोभ की भावना में कमी आती है । सहस्रार बिन्दु आज्ञा विशुद्धि अनाहत मणिपुर स्वाधिष्ठान मूलाधार चक्रों की स्थिति चक्र और तीर्थंकर जप / १२५
SR No.032419
Book TitleLogassa Ek Sadhna Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyayashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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