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________________ के लिए उनके शरीर से घर्षण करते-ऐसी स्थिति में भी उनके ध्यान की स्थिति में कोई अन्तर नहीं आया। सहसा यह बुद्धि गम्य नहीं होता कि क्या कोई इतने घोर कष्टों में समभाव रख सकता है, उन्हें सहजता से सह सकता है? जब ऑपरेशन में सूंघनी से, कृत्रिम मूर्छा व सम्मोहन से बड़े-बड़े ऑपरेशन हो सकते हैं तब भेद विज्ञान से क्यों नहीं हो सकते? कायोत्सर्ग के द्वारा चेतना और शरीर की भिन्नता महसूस होने लगती है तब शारीरिक क्रिया से आत्मा प्रभावित नहीं होती। जब मुनि साधना के द्वारा भेद विज्ञान का तत्त्व आत्मसात् कर लेता है तब वह अनुभव करता है-"नाऽहं देहश्चिदात्मेति" अर्थात् मैं चेतनावान हूँ शरीर नहीं हूँ। परन्तु शरीर को इतना साधना अत्यन्त कठिन है। कायोत्सर्ग की फलश्रुतियां साधना की निष्पत्ति अभ्यास, एकाग्रता और श्रद्धा से ही निखरती है। जैसेजैसे अभ्यास सघन होता जाता है वैसे-वैसे व्यक्ति की आदतों में भी परिवर्तन होता जाता है, उसकी प्रकृति बदलने लगती है। आचार्य श्री महाश्रमणजी के शब्दों में "भक्ति योग में आदमी भक्ति तो करे किंतु साथ में गलत काम भी करे तो वह भक्ति सफल नहीं होती। जैसे दवा के साथ अनुपान का सिद्धान्त है वैसे ही भक्ति भी एक प्रकार की दवा है। उसका अनुपान है-सदाचार। भक्ति और सदाचार का ठीक योग हो जाये तो कल्याण का पथ स्वतः प्रशस्त हो जाता है।" यदि निरन्तर अभ्यास चलता रहे तो कायोत्सर्ग से स्वभाव में परिवर्तन अवश्य आयेगा और मानवीय संबंधों के स्तर में भी अन्तर आयेगा। आचार्य भिक्षु एक श्वास में पूरे लोगस्स को आराम से बोल सकते थे। यह उनका साधा हुआ प्रयोग था। इसके निरन्तर अभ्यास से शरीर के भीतर एक ज्योति प्रस्फुटित होती है जिसका अनुभव स्वयं प्रयोग करके ही किया जा सकता है। आगमिक, आध्यात्मिक, शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक स्तर पर अनेक प्रकार की फलश्रुतियां इस साधना के साथ संपृक्त हैंआध्यात्मिक फलश्रुतियां • शरीर, पदार्थ व इंद्रिय-विषयों के प्रति होने वाली आसक्ति की न्यूनता कषाय की मंदता अभय का विकास सहनशक्ति का विकास वातावरण व परिस्थिति की अनुकूलता शत्रु का मित्र बनना आध्यात्मिक चेतना का जागरण लोगस्स और कायोत्सर्ग / ८६
SR No.032419
Book TitleLogassa Ek Sadhna Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyayashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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