SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ डूंगरगढ़ से रवाना होने के बाद उन्होंने रात्रि विश्राम अजमेर धर्मशाला में किया। वहां से पुष्करजी गये । पुनः अजमेर आए । कुछ खाद्य पदार्थ साथ में लिए और वहां से रवाना हुए। गाड़ी में बैठे-बैठे ही शशिकला बहन की बायीं आँख फड़कने लगी । उसको कुछ चिंता हुई क्योंकि गत रात्रि में उसको स्वप्न में एक ऐसे फूल का जेवर दिखाई दिया जिसकी एक लड़ टूटी हुई थी । लोगस्स के प्रति सहज श्रद्धा होने से वह लोगस्स का ध्यान करने लगी । नसीराबाद तक पहुँचते ही अचानक एक मिलट्रि की गाड़ी से उनकी गाड़ी को टक्कर लगी। टक्कर लगते ही गाड़ी का दरवाजा स्वतः ही खुल गया। बहन शशिकला लोगस्स बोल रही थी । वह लोगस्स के प्रभाव से २०० फीट दूर उछलकर गिर गई और वे पांचों सदस्य गाड़ी में थे, गाड़ी ने तीन पलटी खाई, फिर तीस फुट गड्ढे में जाकर गिरी | सबकों काफी चोट आई। बहन शशिकला गिरते ही एक बार तो मूर्च्छित हो गई पर कुछ ही क्षणों में उसे होश आ गया । होश आते ही उसने देखा - उसके पास दो औरतें और एक पुरुष खड़ा है। उन्होंने कहा - बाई! आपको कहां लगी। आपके पास जो जोखिम का सामान है वह हमें दे दो आपको व्यवस्थित मिल जायेगा । उसको ज्यादा चोट नहीं आई थी वह अब भी मन ही मन लोगस्स बोल रही थी । उसने चश्मा, कान की बाली और चैन सब उनको दे दिये। वे कलश लेकर आए और कहा - बाई! पानी पी लो। उसने पानी नहीं पिया । फिर उन्होंने उससे अपने साथ चलने को कहा -बहन ने कहा- "मुझे लेने आप लोग क्यों आए, मेरे घरवाले क्यों नहीं आए ? तब उन्हें बताया गया आपके घर वाले सब गड्ढे में गिरे हैं । वे उसको वहां लेकर गये। उसने ऊपर से देखा सब खून से लथपथ थे। लोग उन्हें बाहर निकाल रहे थे। बहन ने उस समय बहुत हिम्मत का परिचय दिया । उन्होंने उनसे इंदौर (घर) के फोन नम्बर मांगे, उनको सूचना की और उसके सारे आभूषण उसे अच्छी तरह सौंप कर अदृश्य हो गये कौन थे, कहाँ से आए कुछ भी पता नहीं चला। बहुत जल्दी पांच-दस मिनट में ही मिलिट्री रक्षा करने आ गई । उन सबको अजमेर हॉस्पीटल में भर्ती कर दिया गया। वहां के दिगम्बर समाज ने भी समय पर जागरूकता का परिचय दिया। अस्पताल का पूरा हॉल उनके लिए खाली करवा दिया । मदनलालजी को तो एक पैर में पैंतीस फैक्चर हुए थे । पारिवारिक सदस्यों के पहुँचने से पहले ही अतिशीघ्र सबका इलाज शुरू हो गया । धीरे-धीरे सब स्वस्थ हो गये । दो दिन पूर्व उसी गड्ढ़े में एक कार दुर्घटना से सात व्यक्ति मृत निकाले गये थे पर धर्म के प्रभाव से गुरु कृपा से वे सब स्वस्थ होकर सकुशल घर लौट आए। घटना के निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि कष्ट के क्षणों में इष्ट का शक्ति लोगस्स और कायोत्सर्ग / ७५
SR No.032419
Book TitleLogassa Ek Sadhna Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyayashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy