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________________ ११ ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह श्रेयांसनाथाय नमः १७ ॐ ह्रीं श्रीं अहँ कुंथुनाथाय नमः २३ ॐ ह्रीं श्रीं अहँ पार्श्वनाथाय नमः ०४ ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह अभिनंदननाथाय नमः २. चौबीस तीर्थंकर आनुपूर्वी तीर्थंकर का भावपूर्वक स्मरण करते हुए उनके गुणानुवाद में उत्कृष्ट रस आने पर जीव तीर्थंकर नाम कर्म का बंध कर सकता है। तीर्थंकर देव मोक्ष मार्ग के प्रदाता हैं। इस आनुपूर्वी के माध्यम से हम वीतराग भाव के सोपान चढ़ सकते हैं। इस आनुपूर्वी के अंकों को सीधा, खड़ा या तिरछा जोड़ने पर इसका योग पैंसठ ही आता है। इसलिए इसे पैंसठिया यंत्र के रूप में भी पढ़ा जा सकता है। इस तीर्थंकर स्मरणानुपूर्वी में तीर्थंकरों का नाम लिया जायेगा। जहां जो सख्या का क्रमांक हो वहाँ उन्हीं तीर्थंकर का नाम लें तथा पच्चीसवीं संख्या में भगवान महावीर स्वामी के प्रथम गणधर श्री गौतम स्वामी का नाम लिया जायेगा। नामों की क्रम संख्या१. भगवान ऋषभदेव २. भगवान अजितनाथ ३. भगवान संभवनाथ ४. भगवान अभिनंदन ५. भगवान सुमतिनाथ ६. भगवान पद्मप्रभु भगवान सुपार्श्वनाथ भगवान चन्द्रप्रभु ६. भगवान सुविधिनाथ १०. भगवान शीतलनाथ ११. भगवान श्रेयांसनाथ १२. भगवान वासपूज्य १३. भगवान विमलनाथ १४. भगवान अनंतनाथ १५. भगवान धर्मनाथ १६. भगवान शांतिनाथ १७. भगवान कुंथुनाथ १८. भगवान अरनाथ २१८ / लोगस्स-एक साधना-१
SR No.032418
Book TitleLogassa Ek Sadhna Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyayashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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