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________________ फैल गई। उस समय जब भगवान माता के गर्भ में थे तब माता ने एक दिन स्नान करने के बाद उच्छिष्ट पानी के जल को छत पर जाकर चारों दिशाओं में छिड़का परिणाम स्वरूप सबके रोग दूर हो गये। सर्वत्र शांति हो गई। अतएव अन्वर्थ नाम वाले श्री शांतिनाथ जो कर्म रूपी संताप से संतप्त प्राणियों को शांति प्रदान करने वाले हैं तथा जिनके नाम स्मरण से आधि, व्याधि और उपाधि मिट जाती है ऐसे शांतिनाथ भगवान को मेरा वंदन। १७. जिनके गर्भ में आने के बाद माता ने विशाल एवं उन्नत रत्नमय स्तूप स्वप्न में देखा और उस स्तूप पर मुख वस्त्रिकाधारी मुनि को धर्मोपदेश देते हुए देखा, अतएव बालक का नाम कुंथु रखा गया। ऐसे उन सगुण नाम वाले धर्मचक्री श्री कुंथुनाथ को मेरा वंदन। १८. मोक्ष प्राप्त कराने वाले श्री अरनाथ जब माता के गर्भ में आए थे तब उनकी माता ने स्वप्न में रत्नमय पहिये के आरे देखे। उन गुण युक्त नाम वाले अर भगवान को मेरा वंदन, जिन्होंने सोलहवें व सतरहवें तीर्थंकर की तरह चक्रवर्ती और जिन पद को प्राप्त किया और संसार की जन्म-मरण की परम्परा का अन्त किया। १६. संसार में नर-नारियों के अन्दर समान भाव प्रकट करने के लिए ये मल्लिनाथ भगवान जो स्वयं स्त्री के रूप में जन्में। इस तरह सुन्दर चेष्टा से युक्त और घड़ों के चिह्न से युक्त शरीर वाली कुंभ राजा की संतान मल्लिनाथ की मां को उनके गर्भस्थ होने पर मल्ली-मालती की शय्या पर सोने का दोहद हुआ जिसको देवों ने पूरा किया। अतएव मल्लिनाम धारी गुण निष्पन्न नाम वाले उन्नीसवें जिन भगवान को मेरा वंदन जिन्होंने दीक्षा लेने के पश्चात ही केवल ज्ञान प्राप्त कर लिया था। २०. श्रेष्ठ चारित्र को पालने वाले तथा जिनके शासनकाल में निरतिचार चारित्र पालने वाले बहुत मुनि हुए। अथवा जब वे गर्भ में थे तब उनकी माता मुनि के समान सुव्रता हुई। अतः मुनिसुव्रत नाम वाले २०वें भगवान को मेरा वंदन। विजयसेन राजा के वंश को चमकाने वाले सूर्य स्वरूप तथा देव, दानव, मानवों में मान पाने वाले नेमिनाथ भगवान के लिए हमेशा ज्ञानानंद प्राप्ति के लिए मेरी नम्रता या मेरा नम्र भाव रहे। अथवा जब वे गर्भ में थे तब उनके पिता के अन्य सभी विमुख राजागण नम्र हो गये (झुक गये) अतएव बालक का नाम नेमि रखा। इस प्रकार यथा नाम तथा गुण वाले नेमिनाथ भगवान को मेरा वंदन। नाम स्मरण की महत्ता / १७१
SR No.032418
Book TitleLogassa Ek Sadhna Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyayashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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