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________________ १६. भगवान शांतिनाथजी १७. भगवान कुंथुनाथजी १८. भगवान अरनाथजी १८. भगवान मल्लिनाथजी २०. भगवान मुनिसुव्रतजी २१. भगवान नमिनाथजी २२. भगवान अरिष्टनेमि २३. भगवान पार्श्वनाथजी २४. भगवान महावीर स्वामी ( वर्धमान ) तीर्थंकर प्राप्ति के २० बोल १. अर्हत् का गुणोत्कीर्तन २. सिद्ध की स्तवना ३. प्रवचन पर आस्था ४. गुरु-भक्ति स्थविर - सेवा ५. ६. बहुश्रुत - पूजा ७. तपस्वी का अनुमोदन ८. अभीक्षण - अनवरत ज्ञानोपयोग ६. निरतिचार सम्यक्त्व १०. ज्ञान आदि का विनय ११. आवश्यक आदि अवश्य करणीय संयमानुष्ठान १२. व्रतों का निरतिचार पालन १३. क्षण - लव में ध्यान तथा भावना का सतत आसेवन १४. तप - यथाशक्ति तपस्या करना १५. त्याग - साधु को प्रासुक एषणीय दान देना १६. दस प्रकार का वैयावृत्य १७. गुरु आदि को समाधि देना १८. अपूर्व ज्ञान-ग्रहण २०. प्रवचन की प्रभावना नोट - चौबीस तीर्थंकरों में से प्रथम और अन्तिम तीर्थंकर ने उपर्युक्त सारे स्थानों का स्पर्श कर तीर्थंकर गोत्र का बंध किया तथा मध्यवर्ती तीर्थंकरों ने नाम स्मरण की महत्ता / १६३
SR No.032418
Book TitleLogassa Ek Sadhna Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyayashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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