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________________ भगवती सूत्र १३६. भंते! अवधि-मरण कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है ? - गौतम ! पांच प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे- द्रव्य - अवधि - मरण, क्षेत्र अवधि-मरण, काल-अवधि-मरण, भव - अवधि-मरण, भाव-अवधि मरण । १३७. भंते! द्रव्य - अवधि-मरण कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है ? गौतम ! चार प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे- नैरयिक- द्रव्य - अवधि - मरण यावत् देव-द्रव्य-अवधि-मरण । श. १३ : उ. ७ : सू. १३६-१४४ १३८. भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है-नैरयिक- द्रव्य-अवधि-मरण नैरयिक- द्रव्य-अवधि-मरण है ? गौतम ! जो नैरयिक नैरयिक द्रव्य में वर्तमान जिन द्रव्यों से संप्रति मरते हैं, वे नैरयिक उन्हीं द्रव्यों से अनागत-काल में पुनरपि मरेंगे। गौतम ! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है - यावत् द्रव्य - अवधि मरण है। इसी प्रकार तिर्यग्योनिक, मनुष्य और देव-द्रव्य- अवधि - मरण की वक्तव्यता । इसी प्रकार इस गमक से क्षेत्र अवधि-मरण, काल-अवधि-मरण, भव-अवधि-मरण और भाव-अवधि - मरण की वक्तव्यता । - १३९. भंते! आत्यंतिक - मरण की पृच्छा । गौतम ! पांच प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे- द्रव्य - आत्यंतिक-मरण, क्षेत्र आत्यंतिक - मरण यावत् भाव- आत्यंतिक - मरण । १४०. भंते! द्रव्य - आत्यंतिक-मरण कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है ? गौतम ! चार प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे- नैरयिक- द्रव्य - आत्यंतिक - मरण यावत् देव-द्रव्य- आत्यंतिक - मरण । १४१. भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है-नैरयिक- द्रव्य - आत्यंतिक - मरण नैरयिक- द्रव्य - आत्यंतिक - मरण है ? गौतम ! जो नैरयिक नैरयिक- द्रव्य में वर्तमान जिन द्रव्यों से संप्रति मरते हैं, वे नैरयिक उन्हीं द्रव्यों से अनागत-काल में पुनरपि नहीं मरेंगे। इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है-यावत् नैरयिक-द्रव्य-आत्यंतिक मरण है। इसी प्रकार तिर्यग्योनिक, मनुष्य और देव- द्रव्य - आत्यंतिक - मरण की वक्तव्यता । इसी प्रकार क्षेत्र आत्यंतिक मरण तथा इसी प्रकार यावत् भाव-आत्यंतिक - मरण की वक्तव्यता । १४२. भंते! बाल-मरण कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है ? गौतम ! बारह प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे - वलय-मरण, वशार्त्त-मरण, अंतः- शल्य-मरण, गिरि - पतन, तरु-पतन, जल-प्रवेश, ज्वलन - प्रवेश, तद्भव-मरण, विष-भक्षण, शस्त्रावपाटन, वैहायस, गृद्ध - पृष्ठ | १४३. भंते! पंडित-मरण कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है ? गौतम ! दो प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे- प्रायोपगमन, भक्त - प्रत्याख्यान । १४४. भंते! प्रायोपगमन कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है ? ५१७
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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