SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 535
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र श. ४१ : उ. ६०-११२ : सू. ६४-७५ ६४. भन्ते! वह ऐसा ही है। भन्ते! वह ऐसा ही है। ६५. इसी प्रकार चार युग्मों के विषय में चार उद्देशक बतलाने चाहिए। (इकसठवां-चौसठवां उद्देशक) ६६. भन्ते! कृष्णलेश्य-अभवसिद्धिक-राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-जीव कहां से आकर उपपन्न होते हैं....? इसी प्रकार चारों ही उद्देशक बतलाने चाहिए। (पैंसठवां-बहत्तरवां उद्देशक) ६७. इसी प्रकार नीललेश्य-अभवसिद्धिक-राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-जीवों के चार उद्देशक बतलाने चाहिए। ६८. कापोतलेश्य-अभवसिद्धिक-राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-जीवों के भी चार उद्देशक बतलाने चाहिए। (तिहत्तरवां-अस्सीवां उद्देशक) ६९. तेजोलेश्य-अभवसिद्धिक-राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-जीवों के भी चार उद्देशक बतलाने चाहिए। ७०. पद्मलेश्य-अभवसिद्धिक-राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-जीवों के भी चार उद्देशक बतलाने चाहिए। (इक्कासीवां-चौरासीवां उद्देशक) ७१. शुक्ललेश्य-अभवसिद्धिक-राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-जीवों के विषय में भी चार उद्देशक बतलाने चाहिए। इसी प्रकार ये अट्ठाईस उद्देशक अभवसिद्धिक-राशियुग्म-कृतयुग्म-मनुष्यों के विषय में अभवसिद्धिक-राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-गमक की तरह बतलाने चाहिए। ७२. भन्ते! वह ऐसा ही है। भन्ते! वह ऐसा ही है। पच्चासीवां-एकसौ बारहवां उद्देशक ७३. भन्ते! सम्यग्-दृष्टि-राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-जीव कहां से आकर उपपन्न होते हैं....? इसी प्रकार जैसा प्रथम उद्देशक (भ. ४१।३) बतलाया गया वैसा बतलाना चाहिए। इसी प्रकार चारों ही युग्मों के विषय में चार उद्देशक भवसिद्धिक-राशियुग्म के समान करने चाहिए। ७४. भन्ते! वह ऐसा ही है। भन्ते! वह ऐसा ही है। ७५. भन्ते! कृष्णलेश्य-सम्यग्-दृष्टि-राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-जीव कहां से आकर उपपन्न होते हैं....? इन जीवों के विषय में भी जैसे कृष्णलेश्य- राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-जीवों के विषय में बतलाये गये वैसे करने चाहिए। इसी प्रकार सम्यग्-दृष्टि-राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-जीवों के विषय में भी भवसिद्धिक-राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-जीवों के समान अट्ठाईस उद्देशक करने चाहिए। ९५३
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy