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________________ इकतालीसवां शतक पहला उद्देशक राशियुग्म-नैरयिक-आदि में उपपात-आदि-पद १. भन्ते! राशियुग्म कितने प्रकार के प्रज्ञप्त हैं? गौतम! राशियुग्म चार प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे–कृतयुग्म यावत् कल्योज (कृतयुग्म, त्र्योज, द्वापरयुग्म, कल्योज)। (भ. ३१।१) २. भन्ते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है राशियुग्म चार प्रज्ञप्त हैं, जैसे- कृतयुग्म यावत् कल्योज? गौतम! जो राशि चार (संख्या) द्वारा अपहृत होने पर चार शेष रहती है उसे राशियुग्म-कृतयुग्म कहते हैं (जैसे-चार, आठ, बारह आदि संख्यावाली राशि राशियुग्म-कृतयुग्म है)। इसी प्रकार (भ. ३१ ॥२) यावत् जो राशि चार (संख्या) द्वारा अपहृत होने पर एक शेष रहती है उसे राशियुग्म-कल्योज कहा जाता है। यह इस अपेक्षा से यावत् कल्योज। ३. भन्ते! राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-जीव कहां से आकर उपपन्न होते हैं....? इन जीवों का उपपात जैसे पण्णवणा के छठे पद में अवक्रान्ति (सू. ७०-८०) में बतलाया गया है वैसे वक्तव्य है। ४. भन्ते! ये जीव एक समय में कितने उपपन्न होते हैं? गौतम! राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-जीव एक समय में चार, आठ, बारह, सोलह, संख्येय अथवा असंख्येय उपपन्न होते हैं। ५. भन्ते! ये जीव क्या अन्तर-सहित उपपन्न होते हैं? या अन्तर-रहित उपपन्न होते हैं? गौतम! राशियुग्म-कृतयुग्म-नैरयिक-जीव अन्तर-सहित भी उपपन्न होते हैं, अन्तर-रहित भी उपपन्न होते हैं। अन्तर-सहित उपपन्न होने पर जघन्यतः एक समय के अन्तर से उपपन्न होते हैं, उत्कर्षतः असंख्येय समय के अन्तर से उपपन्न होते हैं। अन्तर-रहित उपपन्न होने पर जघन्यतः दो समय तक अन्तर-रहित उपपन्न होते हैं, उत्कर्षतः असंख्येय समय तक प्रतिसयम, अविरहित और अन्तर-रहित उपपन्न होते हैं। ६. भन्ते! ये जीव जिस समय कृतयुग्म होते हैं, कया उस समय त्र्योज होते हैं? जिस समय त्र्योज होते हैं, क्या उस समय कृतयुग्म होते हैं? ९४६
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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