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________________ उनचालीसवां शतक पहला उद्देशक महायुग्म - असंज्ञी - पंचेन्द्रियों में उपपात-आदि-पद १. भन्ते ! कृतयुग्म - कृतयुग्म-असंज्ञी-पंचेन्द्रिय-जीव कहां से आकर उत्पन्न होते हैं....? जैसे कृतयुग्म कृतयुग्म - द्वीन्द्रिय-जीवों के विषय बारह शतक बतलाये गये वैसे ही कृतयुग्म-कृतयुग्म-असंज्ञी-पंचेन्द्रिय-जीवों के विषय में भी बारह शतक बतलाने चाहिए, केवल इतना अन्तर है- इन जीवों की अवगाहना जघन्यतः अंगुल का असंख्यातवां भाग है, उत्कर्षतः हजार योजन। इन जीवों का संस्थान काल जघन्यतः एक समय, उत्कर्षतः पृथक्त्व (दो से नव) - कोटि - पूर्व है । इन जीवों की स्थिति जघन्यतः एक समय, उत्कर्षतः कोटि- पूर्व है, शेष जैसा कृतयुग्म कृतयुग्म- द्वीन्द्रिय-जीवों का बतलाया गया है वैसा जानना चाहिए। २. भन्ते ! वह ऐसा ही है । भन्ते ! वह ऐसा ही है । - ९३७ ..
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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