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________________ भगवती सूत्र श. १२ : उ. ५ : सू. १०२-११२ गौतम ! पांच वर्ण, दो गन्ध, पांच रस, और चार स्पर्श वाले प्रज्ञप्त हैं । १०३. भंते ! क्रोध, कोप, रोष, दोष (द्वेष), अक्षमा, संज्वलन, कलह, चाण्डिक्य, भण्डन और विवाद - ये कितने वर्ण यावत् स्पर्श वाले प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और चार स्पर्श वाले प्रज्ञप्त हैं । १०४. भंते ! मान, मद, दर्प, स्तम्भ, गर्व, आत्मोत्कर्ष, परपरिवाद, उत्कर्ष, अपकर्ष (अवोत्कर्ष), उन्नत, उन्नाम और दुर्नाम - ये कितने वर्ण यावत् कितने स्पर्श वाले प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और चार स्पर्श वाले प्रज्ञप्त हैं। १०५. भंते ! माया, उपधि, निकृति, वलय, गहन, णूम, कल्क, कुरुए, जैम्ह, किल्विषक, आचरण, गूहन, वंचन, परिकुंचन और साचियोग - ये कितने वर्ण यावत् कितने स्पर्श वाले प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! ये पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और चार स्पर्श वाले प्रज्ञप्त हैं । १०६. भंते ! लोभ, इच्छा, मूर्च्छा, कांक्षा, गृद्धि, तृष्णा, भिध्या, अभिध्या, आशीष, प्रार्थना, लालपनता, कामाशा, भोगाशा, जीविताशा, मरणाशा, नंदी और राग ये कितने वर्ण यावत् कितने स्पर्श वाले प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और चार स्पर्श वाले प्रज्ञप्त हैं । १०७. भंते ! प्रेय, द्वेष, कलह, अभ्याख्यान, पैशुन्य, परपरिवाद, अरतिरति, मायामृषा और मिथ्यादर्शन-शल्य-ये कितने वर्ण यावत् कितने स्पर्श वाले प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और चार स्पर्श वाले प्रज्ञप्त हैं । १०८. भंते ! प्राणातिपात विरमण यावत् परिग्रह - विरमण, क्रोध-विवेक मिथ्यादर्शनशल्य-विवेक-ये कितने वर्ण यावत् कितने स्पर्श वाले प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! ये वर्ण-रहित, गंध-रहित, रस-रहित और स्पर्श-रहित प्रज्ञप्त हैं । १०९. भंते ! औत्पत्तिकी, वैनयिकी, कार्मिकी और पारिणामिकी- ये कितने वर्ण यावत् कितने स्पर्श वाली प्रज्ञप्त हैं ? यावत् गौतम ! ये वर्ण-रहित, गंध-रहित, रस-रहित और स्पर्श - रहित प्रज्ञप्त हैं । ११०. भंते! अवग्रह, ईहा, अवाय और धारणा - ये कितने वर्ण यावत् कितने स्पर्श वाली प्रज्ञाप्त हैं ? गौतम ! ये वर्ण-रहित, गंध-रहित, रस-रहित और स्पर्श-रहित प्रज्ञप्त हैं । १११. भंते ! उत्थान, कर्म, बल, वीर्य और पुरुषकार - पराक्रम - ये कितने वर्ण यावत् कितने स्पर्श वाले प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! ये वर्ण-रहित, गंध-रहित, रस-रहित और स्पर्श-रहित प्रज्ञप्त हैं । ११२. भंते ! सातवां अवकाशान्तर कितने वर्ण यावत् कितने स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है ? गौतम ! वर्ण-रहित, गंध-रहित, रस-रहित और स्पर्श-रहित प्रज्ञप्त है । ४६६
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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