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________________ तेतीसवां शतक प्रथम एकेन्द्रिय शतक पहला उद्देशक १. भन्ते! एकेन्द्रिय-जीव कितने प्रकार के प्रज्ञप्त हैं? गौतम! एकेन्द्रिय-जीव पांच प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे पृथ्वीकायिक यावत् 'वनस्पतिकायिक' वक्तव्य है। २. भन्ते! पृथ्वीकायिक-जीव कितने प्रकार के प्रज्ञप्त हैं? गौतम! पृथ्वीकायिक-जीव दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे—सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक और बादर-पृथ्वीकायिक। ३. भन्ते! सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-जीव कितने प्रकार के प्रज्ञप्त हैं? गौतम! सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-जीव दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे–पर्याप्त-सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक और अपर्याप्त-सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक। ४. भन्ते! बादर-पृथ्वीकायिक-जीव कितने प्रकार के प्रज्ञप्त हैं? इसी प्रकार वक्तव्य हैं। इसी प्रकार अप्कायिक-जीवों के भी चार भेद जानने चाहिए। (१. पर्याप्त-सूक्ष्म-अपकाय, २. अपर्याप्त-सूक्ष्म-अप्काय, ३. पर्याप्त-बादर-अप्काय ४. अपर्याप्त-बादर-अप्काय) इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिक-जीवों तक वक्तव्य हैं। ५. भन्ते! अपर्याप्त-सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-जीवों के कर्म-प्रकृतियां कितनी प्रज्ञप्त हैं? गौतम! अपर्याप्त-सूक्ष्म-पृथ्वी-कायिक-जीवों के आठ कर्म-प्रकृतियां प्रज्ञप्त हैं, जैसे-ज्ञानावरणीय यावत् अन्तराय । ६. भन्ते! पर्याप्त-सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-जीवों के कर्म-प्रकृतियां कितनी प्रज्ञप्त हैं? गौतम! पर्याप्त-सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-जीवों के कर्म-प्रकृतियां . आठ प्रज्ञप्त हैं, जैसे-ज्ञानावरणीय यावत् अन्तराय । ७. भन्ते! अपर्याप्त-बादर-पृथ्वीकायिक-जीवों के कर्म-प्रकृतियां कितनी प्रज्ञप्त हैं? इसी प्रकार समझना चाहिए। ८. भन्ते! पर्याप्त-बादर-पृथ्वीकायिक-जीवों के कर्म-प्रकृतियां कितनी प्रज्ञप्त हैं? इसी प्रकार समझना चाहिए। इसी प्रकार इस क्रम से यावत् बादर-वनस्पतिकायिक ८९६
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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