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________________ भगवती सूत्र श. १२ : उ. ४ : सू. ७७ गौतम ! दस- प्रदेश - स्कंध निष्पन्न होता है । वह टूटने पर दो यावत् दस भागों में विभक्त होता है । दो भागों में विभक्त होने पर - एक ओर स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल दूसरी ओर नौ- प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर द्वि-प्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर अष्ट-प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर त्रि-प्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर सात प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर छह-प्रदेशी स्कंध होता है अथवा दो पांच- प्रदेशी स्कंध होते हैं । तीन भागों में विभक्त होने पर एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर अष्ट-प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर एक स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर द्वि-प्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर सप्त-प्रदेशी स्कन्ध होता है अथवा एक ओर स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर त्रि- प्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर छह-प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर एक स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर पंच- प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर दो द्वि- प्रदेश स्कंध, दूसरी ओर छह प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर द्वि-प्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर त्रि-प्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर पंच- प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर द्वि-प्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर दो चतुष्प्रदेशी स्कंध होते हैं अथवा एक ओर दो त्रि-प्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है । चार भागों में विभक्त होने पर एक ओर तीन स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर सात प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर द्वि-प्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर छह-प्रदेशी स्कंध होता हैं अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर एक त्रि-प्रदेशी स्कन्ध, तीसरी ओर एक पंच - प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु - पुद्गल, दूसरी ओर दो चतुष्प्रदेशी स्कंध होते हैं अथवा एक ओर एक स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर द्वि-प्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर त्रि-प्रदेशी स्कंध, चौथी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर एक स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर तीन त्रि- प्रदेशी स्कंध होते हैं अथवा एक ओर तीन द्वि-प्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर दो द्वि-प्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर दो त्रि-प्रदेशी स्कंध होते हैं । पांच भागों में विभक्त होने पर एक ओर चार स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर छह - प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर तीन स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर द्वि-प्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर पंच- प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर तीन स्वतंत्र परमाणु - पुद्गल, दूसरी ओर एक त्रि-प्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर दो द्वि-प्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर द्वि-प्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर दो त्रि-प्रदेशी स्कंध होते हैं अथवा एक ओर एक स्वतंत्र परमाणु - पुद्गल, दूसरी ओर तीन द्वि- प्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर त्रि-प्रदेशी स्कंध होता है अथवा पांच द्वि-प्रदेशी स्कंध होते हैं । छह भागों में विभक्त होने पर - एक ओर पांच स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर पांच- प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर चार स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर दो द्वि-प्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर चार परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर दो ४५८
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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