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________________ श. २५ : उ. ४ : सू. २१६-२२६ भगवती सूत्र २१६. भन्ते! (एक) परमाण-पुद्गल काल की अपेक्षा सर्वतः सैज कितने समय तक रहता है? गौतम! काल की अपेक्षा सर्वतः सप्रकम्प जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः आवलिका-का-असंख्यातवां-भाग। २१७. (भन्ते!) (एक) परमाणु-पुद्गल काल की अपेक्षा निरेज कितने समय तक रहता है? गौतम! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः असंख्येय काल। २१८. भन्ते! (एक) द्वि-प्रदेशी स्कन्ध काल की अपेक्षा देशतः सैज कितने समय तक रहता गौतम! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः आवलिका-का-असंख्यातवां-भाग। २१९. (भन्ते!) (एक) द्वि-प्रदेशी स्कन्ध काल की अपेक्षा सर्वतः सैज कितने समय तक रहता गौतम! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः आवलिका-का-असंख्यातवां-भाग। २२०. (भन्ते!) (एक) द्वि-प्रदेशी स्कन्ध काल की अपेक्षा निरेज कितने समय तक रहता है? गौतम! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः असंख्येय काल तक रहता है। इसी प्रकार यावत् (एक) अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध वक्तव्य है। २२१. भन्ते! (अनेक) परमाणु-पुद्गल काल की अपेक्षा सर्वतः सैज कितने समय तक रहते गौतम! सर्वदा (सर्वकाल)। २२२. (भन्ते!) (अनेक) परमाणु-पुद्गल काल की अपेक्षा निरेज कितने समय तक रहते हैं? गौतम! सर्वदा। २२३. भन्ते! (अनेक) द्वि-प्रदेशी स्कन्ध काल की अपेक्षा देशतः सैज कितने समय तक रहते गौतम! सर्वदा। २२४. (भन्ते!) (अनेक) द्वि-प्रदेशी स्कन्ध काल की अपेक्षा सर्वतः सैज कितने समय तक रहते हैं? गौतम! सर्वदा। २२५. (भन्ते!) (अनेक) द्वि-प्रदेशी स्कन्ध काल की अपेक्षा निरेज कितने समय तक रहते हैं? गौतम! सर्वदा। इसी प्रकार यावत् (अनेक) अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध वक्तव्य हैं। २२६. भन्ते! (एक) परमाणु-पुद्गल की सर्वतः सैज अवस्था में कितने काल का अन्तर होता है? ८१२
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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