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________________ भगवती सूत्र श. २४ : उ. २ : सू. १२९-१३५ और उत्कृष्टतः दस हजार वर्ष, कायसंवेध - जघन्यतः और उत्कृष्टतः दस-हजार-वर्ष-कुछ- अधिक-तीन- पल्योपम) । (नवां गमक : उत्कृष्ट और उत्कृष्ट) १३०. वही (असंख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञी - पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीव) (यौगलिक) उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले असुरकुमारों में होता है, जघन्यतः तीन पल्योपम उत्कृष्टतः भी तीन पल्योपम, यही वक्तव्यता, (भ. २४ / १२९) इतना विशेष है-काल की अपेक्षा जघन्यतः छह पल्योपम, उत्कृष्टतः भी छह पल्योपम - इतने काल तक रहता है, इतने काल तक गति-आगति करता है । बारहवां आलापक : असुरकुमार में संख्यात वर्ष की आयुष्य वाले संज्ञी - पञ्चेन्द्रिय- तिर्यग्योनिक-जीवों का उपपात - आदि १३१. (भन्ते!) यदि जीव संख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञी - पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीवों असुरकुमारों में उपपन्न होते हैं तो क्या जलचर-जीवों से उपपन्न होते हैं? इसी प्रकार यावत्- (भ. २४/४-५) १३२. भन्ते ! संख्यात वर्ष की आयु वाला पर्याप्त संज्ञी - पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-जीव जो असुरकुमारों में उपपन्न होने योग्य है, भन्ते ! वह कितनी काल की स्थिति वाले असुरकुमारों में उपपन्न होता है ? गौतम ! जघन्यतः दस हजार वर्ष की स्थिति वाले, उत्कृष्टतः कुछ अधिक-एक-सागरोपम की स्थिति वाले जीव असुरकुमारों में उपपन्न होता है । 1 १३३. भन्ते ! वे जीव एक समय में कितने उपपन्न होते हैं? इसी प्रकार रत्नप्रभा - पृथ्वी के समान नौ गमक ज्ञातव्य है (भ. २४/५८-७७), इतना विशेष है - जब अपनी जघन्य काल की स्थिति वाला (संख्यात वर्ष की आयु वाला पर्याप्त संज्ञी-पंचेन्द्रिय - तिर्यग्योनिक - जीव) होता है तब तीनों ही गमक (चौथा, पांचवां और छट्ठा) नानात्व वक्तव्य है-चार लेश्याएं, अध्यवसान – प्रशस्त होते हैं, अप्रशस्त नहीं। शेष पूर्ववत् । कायसंवेध - कुछ अधिक एक सागरोपम करणीय है । तेरहवां आलापक : असुरकुमार में संज्ञी-मनुष्य का उपपात - आदि १३४. यदि मनुष्यों में उपपन्न होते हैं तो क्या संज्ञी - मनुष्यों से असुरकुमारों में उपपन्न होते हैं ? अथवा असंज्ञी - मनुष्यों से असुरकुमारों में उपपन्न होते हैं ? गौतम! संज्ञी - मनुष्यों से असुरकुमारों में उपपन्न होते हैं, असंज्ञी - मनुष्यों से असुरकुमारों में उपपन्न नहीं होते । १३५. यदि संज्ञी-मनुष्यों से उपपन्न होते हैं तो क्या - संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी - - मनुष्यों से उपपन्न होते हैं? असंख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी - मनुष्यों से उपपन्न होते हैं ? गौतम ! संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी - मनुष्यों से उपपन्न होते हैं, असंख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी - मनुष्यों से भी उपपन्न होते हैं । ७३३
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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