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________________ चौबीसवां शतक पहला उद्देशक संग्रहणी गाथा १. उपपात २. परिमाण ३. संहनन ४. उच्चत्व ५. संस्थान ६. लेश्या ७. दृष्टि ८. ज्ञान-अज्ञान ९. योग १०. उपयोग ११. संज्ञा १२. कषाय १३. इन्द्रिय १४. समुद्घात १५. वेदना १६. वेद १७. आयुः १८. अध्यवसान १९. अनुबन्ध २० कायसंवेध ये बीस द्वार प्रत्येक जीव-पद में जीवों के दण्डक के उद्देशक हैं। एक-एक दण्डक का एक-एक उद्देशक है। इस प्रकार चौबीसवें शतक में चौबीस उद्देशक होते हैं। नैरयिक-आदि में उपपात-आदि के गमक का पद नरक-अधिकार १. राजगृह में यावत् इस प्रकार कहा (भ. १/४-१०)- भन्ते! नैरयिक कहां से उपपन्न होते हैं-क्या नैरयिकों से उपपन्न होते हैं? तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं? मनुष्यों से उपपन्न होते हैं? देवों से उपपन्न होते हैं? गौतम! नैरयिकों से उपपन्न नहीं होते, तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं, मनुष्यों से भी उपपन्न होते हैं, देवों से उपपन्न नहीं होते। २. (भन्ते!) यदि नैरयिक-जीव तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं, तो क्या-एकेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक जीवों से उपपन्न होते हैं यावत् पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं? गौतम! एकेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न नहीं होते, द्वीन्द्रिय-, त्रीन्द्रिय-, चतुरिन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न नहीं होते, पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं। प्रथम आलापक : नैरयिक में असंज्ञी-तिर्यंच-पचेन्द्रिय-जीवों का उपपात-आदि ३. (भन्ते!) यदि नैरयिक-जीव पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं तो क्या संज्ञी-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं? असंज्ञी-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं? गौतम! संज्ञी-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं, असंज्ञी-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से भी उपपन्न होते ह। ७०९
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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