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भगवती सूत्र
श. २१ : व. ७,८ : उ. १-१० : सू. २०-२१
सातवां वर्ग २०. भंते! अम्भोरुह (कमल), वोयाण, हरित (श्वेत सहजन शाक), चौलाई का शाक, तृण (रोहितघास), बथुआ, बांस की गांठ, लाल चित्रक, पाची-लता, चिल्ली शाक (बड़ा बथुआ), पालक, जलपीपल, दारूहलदी, सुनिषण्णक शाक, ब्राह्मी, मूली, सरसों, कोकम, जिवसाग-इनके जो जीव मूल-रूप में उपपन्न होते हैं, भंते! वे जीव कहां से (आकर) उपपन्न होते हैं? इस प्रकार इन जीवों के संदर्भ में भी मूल आदि दस उद्देशक वैसे ही निरवशेष वक्तव्य हैं, जैसे (भ. २१/१७ में) वंश-वर्ग के संदर्भ में कहे गए हैं।
आठवां वर्ग २१. भंते! तुलसी, कृष्ण तुलसी, दराल, फणिज्जक (फांगला), अर्जक (बाबरी जो तुलसी
का एक भेद है), जम्बीरतृण, शंखिनी, जीरक (जीरा), दवना, सफेद मरूआ, नील कमल, शतपुष्पा (सोआ या वन सौंफ)-इनके जो जीव मूल-रूप में उपपन्न होते हैं, भंते ! वे जीव कहां से (आकर) उपपन्न होते हैं? इस प्रकार इन जीवों के संदर्भ में भी मूल आदि दस उद्देशक वैसे ही निरवशेष वक्तव्य हैं, जैसे (भ. २१/१७) में) वंश-वर्ग के संदर्भ में कहे गए हैं। इस प्रकार इन आठ वर्गों के अस्सी उद्देशक होते हैं।
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