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________________ (XIV) छब्बीसवां आलापक : पृथ्वीकायिक-जीवों में द्वीन्द्रिय-जीवों का उपपात - आदि ७४३ (पहला गमक) ७४३ (दूसरा गमक) ७४३ (तीसरा गमक) ७४३ ७४४ ७४४ ७४४ (चौथा, पांचवां और छट्टा गमक) (सातवां, आठवां और नवां गमक) सत्ताईसवां आलापक : पृथ्वीकायिक-जीवों में तेइन्द्रिय-जीवों का उपपात-आदि अट्ठाइसवां आलापक : पृथ्वीकायिक-जीवों में चतुरिन्द्रिय-जीवों का उपपात - आदि उनतीसवां आलापक : पृथ्वीकायिक-जीवों में असंज्ञी - तिर्यंच-पंचेन्द्रिय-जीवों का उपपात- आदि ७४५ ७४५ ७४५ (पहला गमक : औधिक और औधिक) ७४५ (दूसरे से नवें गमक तक ) तीसवां आलापक : पृथ्वीकायिक-जीवों में संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी-तिर्यंचपंचेन्द्रिय-जीवों का उपपात-आदि (पहला गमक : औधिक और औधिक) (पहले से नवें गमक तक) इकतीसवां आलापक: पृथ्वीकायिक-जीवों में असंज्ञी - मनुष्यों का उपपात-आदि ७४६ ७४७ ७४७ (प्रथम तीन गमक) बत्तीसवां आलापक : पृथ्वीकायिक-जीवों में संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी - मनुष्यों का उपपात-आदि ७४७ ( प्रथम तीन गमक) ७४७ (चौथे से छट्ठे गमक तक) ७४८ ७४८ ७४८ (सातवें से नवें गमक तक) तेतीसवां आलापक : पृथ्वीकायिक-जीवों में भवनपति - देवों का उपपात-आदि ( पहला गमक : औधिक और औधिक) ७४८ (दूसरे से नवें गमक तक) चौतीसवां आलापक : पृथ्वीकायिक- जीवों में वाणमन्तर- देवों का उपपात - आदि ७४९ ७४९ ७४६ ७४६ पैंतीसवां आलापक: पृथ्वीकायिक-जीवों में ज्योतिष्क - देवों की उत्पत्ति ७५० छत्तीसवां आलापक : पृथ्वीकायिक-जीवों में वैमानिक - देवों का उपपात - आदि ७५० पृथ्वीकायिक- जीवों में सौधर्मवासी देवों का उपपात-आदि ( औधिक और औधिक) पृथ्वीकायिक- जीवों में ईशानवासी- देवों का उपपात-आदि इकतालीसवां आलापक: द्वीन्द्रिय-जीवों में जीवों का उपपात-आदि अट्ठारहवां उद्देश बयालीसवां आलापक : त्रीन्द्रिय-जीवों में जीवों का उपपात - आदि तेरहवां उद्देशक ७५१ सैंतीसवां आलापक : अप्कायिक-जीवों में पृथ्वीकायिक- जीवों का उपपात - आदि चौदहवां उद्देशक अड़तीसवां आलापक: तेजस्कायिक जीवों में जीवों का उपपात-आदि ७५१ ७५१ पन्द्रहवां उद्देशक ७५१ उनचालीसवां आलापक : वायुकायिक-जीवों में जीवों का उपपात - आदि ७५१ सोलहवां उद्देशक ७५२ चालीसवां आलापक : वनस्पतिकायिक-जीवों में जीवों का उपपात आदि सत्रहवां उद्देशक ७५० ७५० ७५१ ७५१ बीसवां उद्देशक तिर्यंच-पंचेन्द्रिय-अधिकार ७५२ ७५२ ७५२ ७५२ उन्नीसवां उद्देशक तयालीसवां आलापक : चतुरिन्द्रिय-जीवों में जीवों का उपपात - आदि ७५२ ७५३ ७५३ ७५३ ७५३ चमालीसवां आलापक : तिर्यंच-पंचेन्द्रिय- जीवों में प्रथम नरक के नैरयिकों का उपपात - आदि ७५३ (पहला गमक : औघिक और औधिक) ७५३
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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