SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७११ ७१२ (XI) ३. संहनन-द्वार ७१० (चौथा गमक : जघन्य और औधिक) ७१८ ४. अवगाहना-द्वार ७१० (पांचवां गमक : जघन्य और जघन्य) ७१९ ५. संस्थान-द्वार ७१० (छट्ठा गमक : जघन्य और उत्कृष्ट) ७१९ ६. लेश्या-द्वार ७११ (सातवां गमक : उत्कृष्ट और औधिक) ७१९ ७. दृष्टि-द्वार (आठवां गमक : उत्कृष्ट और जघन्य) ७२० ८. ज्ञान-अज्ञान-द्वार (नवां गमक : उत्कृष्ट और उत्कृष्ट) ७२० ९. योग-द्वार ७११ तीसरा आलापक : दूसरी नरक में संख्यात १०. उपयोग-द्वार ७११ __ वर्ष की आयु वाले संज्ञी-तिर्यंच११. संज्ञा-द्वार ७११ -पंचेन्द्रिय-जीवों का उपपात-आदि ७२० १२. कषाय-द्वार ७११ (पहला गमक : औधिक और औधिक) ७२० १३. इन्द्रिय-द्वार ७११ (दूसरे से नवें गमक तक) ७२१ १४. समुद्घात-द्वार ७११ चौथा आलापक : तीसरी से छट्ठी नरक में १५. वेदक-द्वार __ संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी-तिर्यंच१६. वेद-द्वार ७१२ -पंचेन्द्रिय-जीवों का उपपात-आदि ७२१ १७. स्थिति-द्वार ७१२ पांचवां आलापक : सातवीं नरक में १८. अध्यवसाय-द्वार ७१२ संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी-तिर्यंच१९. अनुबन्ध-द्वार ७१२ -पंचेन्द्रिय-जीवों का उपपात-आदि ७२१ २०. कायसंवेध-द्वार ७१२ (पहला गमक : औधिक और औधिक) ७२१ (दूसरा गमक : औघिक और जघन्य) ७१३ (दूसरा गमक : औघिक और जघन्य) ७२२ (तीसरा गमक : औधिक और उत्कृष्ट) ७१३ (तीसरा गमक : औधिक और उत्कृष्ट) ७२२ (चौथा गमक : जघन्य और औधिक) ७१३ (चौथा गमक : जघन्य और औधिक) ७२२ (पांचवां गमक : जघन्य और जघन्य) ७१४ (पांचवां गमक : जघन्य और जघन्य) ७२२ (छट्ठा गमक : जघन्य और उत्कृष्ट) ७१५ (छट्ठा गमक : जघन्य और उत्कृष्ट) ७२२ (सातवां गमक : उत्कृष्ट और औधिक) ७१५ (सातवां गमक : उत्कृष्ट और औधिक) ७२३ (आठवां गमक : उत्कृष्ट और जघन्य) ७१५ (आठवां गमक : औधिक और जघन्य) ७२३ (नवां गमक : उत्कृष्ट और उत्कृष्ट) ७१६ (नवां गमक : उत्कृष्ट और उत्कृष्ट) ७२३ दूसरा आलापक : नैरयिक में संख्यात वर्ष छट्ठा आलापक : नरक में उत्पन्न होने वाले की आयु वाले संज्ञी-तिर्यंच-पंचेन्द्रिय- संज्ञी-मनुष्य -जीवों का उपपात-आदि ७१६ प्रथम नरक में संख्यात वर्ष की आयु वाले प्रथम नरक में संख्यात वर्ष की आयु वाले पर्याप्त-संज्ञी-मनुष्यों का उपपात-आदि ७२४ संज्ञी-तिर्यंच-पंचेन्द्रिय-जीवों का उपपात- (पहला गमक : औघिक और औधिक) ७२४ आदि ७१७ (दूसरा गमक : औघिक और जघन्य) ७२४ (पहला गमक : औधिक और औधिक) ७१७ (तीसरा गमक : औधिक और उत्कृष्ट) ७२४ (दूसरा गमक : औधिक और जघन्य) ७१८ (चौथा गमक : जघन्य और औधिक) ७२५ (तीसरा गमक : औधिक और उत्कृष्ट) ७१८ (पांचवां गमक : जघन्य और जघन्य) ७२५ ७२३
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy