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________________ भगवती सूत्र १३१. भंते! क्या वह एक भाषा है ? सहस्र भाषा है ? गौतम ! वह एक भाषा है, वह सहस्र भाषा नहीं है । श. १४ : उ. ९: सू. १३१-१३६ सूर्य-पद १३२. उस काल और उस समय में भगवान् गौतम ने सद्यः - उदित हुए जवाकुसुम पुञ्ज के प्रकाश के समान रक्तिम बाल सूर्य को देखा। देखकर एक श्रद्धा यावत् कुतूहल प्रबलतम बना। जहां श्रमण भगवान् महावीर हैं, वहां आते हैं, वहां आकर श्रमण भगवान् महावीर को दांई ओर से प्रारंभ कर तीन बार प्रदक्षिणा करते हैं, वंदन - नमस्कार करते हैं। वंदन - नमस्कार कर न अति निकट न अति दूर, शुश्रूषा और नमस्कार की मुद्रा में उनके सम्मुख सविनय बद्धांजलि होकर पर्युपासना करते हुए इस प्रकार बोले भंते! यह सूर्य क्या है ? भंते! सूर्य का अर्थ क्या है ? गौतम ! सूर्य शुभ है, सूर्य का अर्थ शुभ है। १३३. भंते! यह सूर्य क्या है ? भंते! सूर्य की प्रभा क्या है ? गौतम ! सूर्य शुभ है, सूर्य की प्रभा शुभ है । १३४. भंते! यह सूर्य क्या है ? भंते! सूर्य की छाया क्या है ? गौतम ! सूर्य शुभ है, सूर्य की छाया शुभ है । १३५. भंते! यह सूर्य क्या है ? भंते! सूर्य की लेश्या क्या है ? गौतम ! सूर्य शुभ है, सूर्य की लेश्या शुभ है। श्रमणों का तेजोलेश्या - पद १३६. भंते! जो ये श्रमण-निर्ग्रथ आर्य-रूप में विहार करते हैं, वे किसकी तेजोलेश्या का व्यतिक्रमण करते हैं ? गौतम ! एक मास - पर्याय वाला श्रमण-निर्ग्रथ वाणमंतर देवों की तेजो-लेश्या का व्यतिक्रमण करता है। दो मास - पर्याय वाला श्रमण-निर्ग्रथ असुरकुमार को छोड़कर शेष भवनवासी देवों की तेजोलेश्या का व्यतिक्रमण करता है । इस प्रकार इस अभिलाप के अनुसार तीन मास-पर्याय वाला श्रमण-निर्ग्रथ असुरकुमार देवों की तेजो - लेश्या का व्यतिक्रमण करता है । चार मास पर्याय वाला श्रमण-निर्ग्रथ ग्रह- गण, नक्षत्र, तारा-रूप ज्योतिष्क- देवों की तेजो- लेश्या का व्यतिक्रमण करता है। पांच मास-पर्याय वाला श्रमण-निर्ग्रथ ज्योतिषेन्द्र जयोतिषराज चंद्र-सूर्य की तेजो - लेश्या का व्यतिक्रमण करता है । छह मास पर्याय वाला श्रमण-निर्ग्रथ सौधर्म - ईशान - देवों की तेजो-लेश्या का व्यतिक्रमण करता है । ५४३
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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