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________________ ६४ ४. ५. ६. ७. ८. ९. इम दीधी सीखावण दूत नें, दूत तिहां थी नीकल्यों, ओं तों भिक्षु वाङ्मय - खण्ड - १० तिण कर लीधी परमांण । कर मोटें मंडांण । तिहां थी । चाल्यों घणा साथ समान थी ।। बेंठा तिहां, कर मोटें मंडांण । बाहुबली तिण अवसर दूत आयनें, विनों कर बोल्यों मीठी वाण । तिण ठांमे । जय विजय करनें वधावीया ।। " जब आदर मांन दीयों दूत नें पूछ्या तिणनें समाचार । कहो दूत किरा मेल्या आवीया, जब दूत बोल्यो तिणवार । राजा सूं । हूं तो आयो भरतजी रो मेलीयों ।। कहो भरतजी री वारता, जब दूत बोल्यों तिणवार । भरतजी कह्यों छें थां भणी, मो साथे आपनें समाचार । माहाराजा । आप चित्त लगाय नें सांभलों ॥। चक्ररत्न उपनो माह रे, तिणसूं मांनजो म्हारी आंण । इम कहे मोनें मोकल्यों, ए वचन करो परमांण । माहाराजा । ए वात जुगती छें आपनें ।। ए वचन सुनें कोपीया, बाहुबल तिणवार । करडा वचन मुख बोलीया, तीन लीटी चाढे निलाड । नें बोल्यों । तूं जाय भरत नें इम कहें ।। १०. थे राज । अठा भायां तणो, खोस लीयों छें इसडो अकार्य थें कीयो, तोनें अजे न आवें लाज । रे भाई । तूं जाय भरत नें इम कहें ।। " ११. हूं डरतों आंण मांनूं नही डरतों नही लेऊ संजमभार । हूं करसूं संग्रांम तो थकी, तें पिण वेगों होयजे तयार । लडवानें । तूं जाय भरत नें इम कहें ।।
SR No.032414
Book TitleAcharya Bhikshu Aakhyan Sahitya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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