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________________ भरत चरित ३६९ १०. अभिषेक मंडप में जहां भरतजी बैठे थे वहां आकर उत्साहपूर्वक उनका विनय किया और राज्याभिषेक के लिए जो तैयारियां की थीं उन्हें प्रस्तुत किया। ११. बत्तीस हजार मुकुटबंध राजाओं ने शुभ तिथि, निर्मल दिवस, अच्छा नक्षत्र और अच्छा मुहूर्त देखा। १२. उत्तराभद्रपद नक्षत्र और विजय मुहूर्त को शुभ जानकर साडंबर अभिषेक कर भरत को राज्यपद पर आरोहित करते हैं। १३. आभियौगिक देव द्वारा विकुर्वित आठ हजार चौसठ कलशों में जल तथा गंधोदक भर कर उन्हें कमल दल पर स्थापित किया। १४. उस सुरभिगंध जल से सभी राजाओं ने अलग-अलग रूप से भरतजी के मस्तक पर डाल कर राज्याभिषेक किया। १५,१६. इसी प्रकार सेनापति, गाथापति, बढ़ई तथा पुरोहित रत्न और तीन सौ साठ रसोइये, अट्ठारह श्रेणि-प्रेश्रेणि, ईश्वर, तलवर, सार्थवाह आदि आए और उन्होंने भी राजाओं की तरह जल सींच कर अलग-अलग अभिषेक कराया। १७. सोलह हजार देवताओं ने भी वहां आकर इसी प्रकार अभिषेक किया। अनुपम, सुकोमल वस्त्रों से प्रेमपूर्वक शरीर को पोंछा। १८. चंदन से चर्चित कर वस्त्राभूषण पहनाए। मस्तक पर मुकुट पहनाया। देवताओं ने ही विविध प्रकार के आभूषणों से शृंगार करवाया। १९. देवताओं ने यह जो शृंगार करवाया भरतजी इस सबको एक तमाशा समझते हैं। इन्हें भी त्यागकर संयम ग्रहण कर मुक्ति में जाकर वास करेंगे।
SR No.032414
Book TitleAcharya Bhikshu Aakhyan Sahitya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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