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________________ दुहा थाय । ९. मेघमाली देवता गयां पछें, उठी नें ऊभी सिनांन करे बलीकरम कीया, मंगलीक कीया छें ताहि ।। २. ४. ५. राल । भीना वसतर पेंहरनें, त्यांरा नीचा छेंहड़ा नीचों मुख राख्यों दिष्ट धरतीयें, देवां कह्यों ते वचन रसाल ॥ बहु मोला भारी भारी रतन रो, भेटणों लीधों ताहि । जिहां भरत नरिंद राजंद छें, सगला आण ऊभा छें आय।। चढाय । अंजली जोड कीधी तिहां, दोनूं मस्तक हाथ जय विजय करेनें वधावता, विडदावलीयां अनेक बोलाय ।। बहु मोला रत्नां रो भेटणों, मेल्यों भरत जी रे पाय । हिवें गुण कीरत किण विध करें, ते सुणजों चित्त ल्याय ।। ढाळ : ४१ (लय : राजंद हो हो वात सुणो नारी तणी ) थे भला पधारय इण देस में ।। वसुधरा छखंड प्रथवी तणा, थे गुणधर छों गुणवंत । राजंद । जयवंत छों वेंरी जीतनें, लज्या लिखमी धीरज कर संत । रा० । २. ते कीरत धारक नरिंद छों, हजारां गमें लखण सहीत । रा० । थे राज घणा काल पालजों, सुखे समाधे रूडी रीत । रा०।। ३. थे हयपती गयपती नरपती, नव निधांनपती छों तांम। रा० । भरत क्षेतर रा प्रथमपती, बत्तीस सहंस देस ना सांम । रा० ।।
SR No.032414
Book TitleAcharya Bhikshu Aakhyan Sahitya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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