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________________ भरत चरित २१५ ढाळ : ३६ आपात चिलात प्रभूत ऋद्धि-सम्पन्न हैं। १. आपात-चिलात बड़े-बड़े राजे हैं। उनके पास अगाध ऋद्धि है। वे अभिमानी २. अनेक विस्तीर्ण भवन, शयन, आसन, वाहन, रथ-घोड़ों आदि से उनकी ऋद्धि आकीर्ण है। ३. उनके पास अत्यधिक धन-धान्य, सोना-चांदी, बल-वाहन तथा अद्भुत एवं प्रभूत ऋद्धि है। ४. संग्राम करने में वे लक्ष्यवेधी हैं। अत्यंत सूरवीर एवं अपराजेय हैं। ५. उनमें अच्छे प्रज्ञावान् लोग हैं। वे वीरतापूर्ण छंद बोलते हैं। वे दूसरों की धरती पर अधिकार करने में शूर हैं। उनमें उदारता भी है। ६,७. उस देश में सैंकड़ों उत्पात खड़े हुए तो उन्हें देखकर वे भयभ्रांत होकर एक स्थान में एकत्रित हुए। आपस में कहने लगे कि देवानुप्रियों, भाई राजाओं सुनो अब हमें क्या विचार-निश्चय करना चाहिए इसलिए इकट्ठे हुए हैं। ८-१०. हमारे देश में बड़े उत्पात खड़े हो गए हैं। बिना वर्षा ऋतु के अकाल में बादल गरज रहे हैं, अकाल में विद्युत झबक रही है, अकाल में वृक्ष फलने-फूलने लगे हैं। इन चिह्नों के प्रकट होने से लगता है, बात बिगड़ने वाली है, इनसे हमारा क्या हाल होगा।
SR No.032414
Book TitleAcharya Bhikshu Aakhyan Sahitya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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