SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 152
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४० भिक्षु वाङ्मय-खण्ड-१० ७. अडतालीस अरा रचीया तिहां, दिशि दिश प्रतें अरा बार बार रे। तपणीक रक्त सोवन तणा, पाटीया जडिया श्रीकार रे।। ८. तिणसूं दढ कीधा , जुगत सूं, तूंबडो ते नाभ वखांण रे। त्यांरा छेहडा घठास्या अति घणा, रूडी रीत सूं थापी जांण रे।। नवा काष्ट ना रूडा पाटीयां तणी, त्यांरी चक्रपूठी छे ताम रे। विशिष्ट नवो लोह तेहनों, बंधण बांध्या में तिण ठाम रे।। १०. वासुदेव तणों चक्ररत्न छे, तिण सरीखा पइडा , अनूप रे। त्यांने घडीया चुतर कारीगरा, त्यां चुतराइ सुं कर कर चूंप रे।। ११. करकेतन नीलक सासक, ए तीनूं जात रा रत्न वखांण रे। त्यांमें बांध्यों में रूडी रीत सूं, रच्या छे रूडें संठांण रे।। १२. बांध्यों में जालीयां रा समुदाय थी, जालीयां नी श्रेण अनेक रे। वस्तीरण पसथ रूडी परें, सूधी छे धुरी तिणरी विशेख रे।। १३. सोभणीक क्रांति छे तेहनी, रक्त सोंवर्ण में जोत वखांण रे। सस्त्र थाप्या , तिण रथ मझे, प्रहरणां करी भरीया जांण रे।। १४. खडग बाण सक्त त्रिसूलादिक, ससतरना भाथडा , बत्तीस रे। त्यां ससस्त्रां करीनें मंडित , घणु, रथ सोभे रह्यों विसवावीस रे।। १५. कनकरत्न में चित्रांम छे, त्यांरी लागी झिगामग जोत रे। तिणरें रथ रें आश्व जोतरया, उजला सेत करता उद्योत रे।। १६. मालती फूलां री माला ऊजली, उजलों चंद्रमा नो उजास रे। वळे उजलो हार मोत्यां तणों, एहवों घोडां तणों परकास रे।। १७. जेहवों मन छे चपल देवतां तणों, वाउ वेग तणी पर जांण रे। तेहवी सिघर चाल घोडां तणी, ते सुतर में नहीं परमांण रे।।
SR No.032414
Book TitleAcharya Bhikshu Aakhyan Sahitya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy