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दुहा १. मागध कुमार देवता भणी, घणों सतकार दे सनमान।
सीख दीधी छे तेहनें, भरतेसर राजांन।।
२. आंण मनाय देवता भणी, रथ पाछों फेरयों ताम।
लवण समुद पाछा उतरया, आया विजय कटक तिण ठांम।।
३. उवठाण साला तिहां आयनें, रथ ऊभों राख्यों ताहि।
तिण रथ थी हेठा उतरी, गया मंजण घर माहि।।
४. सिनांन मरदन कियों तिहां, आगे कह्यों तिम सगलोइ जांण।
पछे भोजन मंडप में जायने, पारणों कीधों छे आण।।
भोजन कर तिहां थी नीकल्या, फेर आया उवठाण साल। तिहां बेंठा सिघासण ऊपरें, श्रेणी प्रश्रेणी तेश्या तिण काल।।
मागध तीर्थ कुमार नामें देवता, ते नमीयो छे मुझ आय। आठ दिवस महोछव करे, माहरी आग्या पाछी सूंपो ताहि।।
७. ए
तिहां
वचन सुणेनें हरखीयों, श्रेणी प्रश्रेणी तांम। थी पाछा नीकल्या, महोछव करें ठांम-ठांम।।
८.
अठाइ महोछव पूरा हूआं, चक्ररत्न तिण वार। आवधसाला थी बाहिर नीकल्यों, चाल्यों नेरतकुण मझार।।