SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 95
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ FFFFE 3. तृतीया मात्रा माता से 4. चतुर्थी मात्रे माता के लिए 5. पञ्चमी मातुः माता से 6. षष्ठी मातुः माता का 7. सप्तमी मातरि माता में सम्बोधन (हे) मातः हे माता 'माता' शब्द के समान चलने वाले शब्द दुहितृ-लड़की, पुत्री। यातृ-देवरानी। ननन्दृ, ननान्दृ-ननद, पति की बहिन। वाक्य 1. सर्वदा उद्यमः कर्तव्यः-सदा उद्योग करना चाहिए। 2. उद्यमेन एव सुखं भवति-उद्योग से ही सुख होता है। 3. भुक्त्वा बदरीफलं भक्षणीयम्-भोजन करके बेर खाना चाहिए। 4. अभुक्त्वा आमलकं पथ्यम्-भोजन न करके (भोजन से पूर्व) आंवला हितकर 5. त्वं बालकेन सह क्रीडसि-तू लड़के के साथ खेलता है। 6. अहं तु न क्रीडामि-मैं तो नहीं खेलता। 7. सः तत्र किमर्थं कोलाहलं करोति-वह वहाँ क्यों शोर करता है ? 8. यदि अहं क्रीडिष्यामि तर्हि गुरुः मां ताडयिष्यति-अगर मैं खेलूँगा तो गुरु मुझे मारेगा। 9. तव मातुः किम् नाम अस्ति-तेरी माता का क्या नाम है ? 10. तस्य पितुः नाम यज्ञदत्तशर्मा इति-उसके पिता का नाम यज्ञदत्त शर्मा है। 11. दुग्धं पीत्वा फलं भक्षयामि-दूध पीकर फल खाऊँगा। 12. अश्वः शीघ्रं धावति-घोड़ा तेज़ दौड़ता है। सरल वाक्य (1) किमर्थं त्वं तत्र गत्वा मोदकं भक्षयसि ? (2) मया तत् कर्म न कृतम् । (3) दुर्जनः अन्यस्मै दुःखं ददाति। (4) सुजनः अन्यस्मै सुखं ददाति। (5) आकाशे रविं पश्य । (6) पाठशालायां सदा नियमेन गन्तव्यम् । (7) मित्रेण सह कलहः न कर्तव्यः । (8) यदा गुरुः पाठं पाठयति तदा तत्र चित्तं देयम्। (9) इतस्ततः न द्रष्टव्यम्। (10) सशर्करं दुग्धं पेयम्। 94
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy