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________________ 92 रामः - तर्हि अहमपि त्वया सह आगच्छामि । विष्णुः - आगच्छ तर्हि शीघ्रम् । समयः गच्छति । रामः - शीघ्रमागतः । क्षणं तिष्ठ । पाठ 28 'स्मर' के पूर्व 'वि' लगाने से 'विस्मर' रूप बनता है और उसका अर्थ 'भूलना' होता है। देखिए - स्मरति - स्मरण करता है । स्मरामि - स्मरण करता हूँ । स्मरिष्यसि - तू स्मरण करेगा । त्वया - तूने । तेन - उसने । विस्मरसि - तू भूलता है। विस्मरिष्यति - वह भूलेगा । विस्मरिष्यामि – भूलूँगा । पुरुषेण - मनुष्य ने । स्मरसि - तू स्मरण करता है । स्मरिष्यति - वह स्मरण करेगा । स्मरिष्यामि - स्मरण करूंगा । मया- मैंने । विस्मरति - वह भूलता है। 1 विस्मरामि - भूलता हूँ । विस्मरिष्यसि - तू भूलेगा । बालके - लड़के से । पुत्रेण पुत्र से | वाक्य 1. यत् त्वं पठसि तत् सर्वदा स्मरसि न वा- - जो तू पढ़ता है, उसे स्मरण करता है या नहीं ? 2. यद् अहं पठामि तत् कदापि न विस्मरामि - जो मैं पढ़ता हूँ, वह कभी नहीं भूलता। 3. यदि त्वम् एवं विस्मरिष्यसि तर्हि कथं पठिष्यसि - अगर तू इस प्रकार भूलेगा तो कैसे पढ़ेगा ? 1. जल्दी आया। 2. क्षण-भर ठहर । 4. अतः ऊर्ध्वं न विस्मरिष्यामि – मैं इसके पश्चात् नहीं भूलूँगा । 5. यथा तव गुरुः आज्ञापयति तथा कुरु - जैसा तेरा गुरु आज्ञा देता है, वैसा कर । 6. सः मां वृथा पीडयति - वह मुझे व्यर्थ दुःख देता है । 7. अतः अहं तम् अवश्यं ताडयिष्यामि - इसलिए मैं उसको अवश्य पीहूँगा । 8. सः महिषः कस्य अस्ति - वह भैंसा किसका है ? 9. सः महिषः नास्ति वृषभः अस्ति - वह भैंसा नहीं, बैल है ।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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