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________________ रेखा - लकीर । सिद्धम् - तैयार । वायुः - हवा | स्वभावः- आदत । मार्जारम् - बिल्ली को । आकाशः- आकाश । पाठ 21 लोभः - लालच । शुद्धः - स्वच्छ । नगरे - शहर में । वेषः - पहनावा | अश्वम् - घोड़े को । तारकाः- तारागण । वाक्य 1. तव भोजनं सिद्धम् अस्ति इति त्वं जानासि किम्-तेरा भोजन तैयार है, यह तू जानता है क्या ? 2. भो मित्र ! अहं न जानामि - मित्र ! मैं नहीं जानता । 3. एतत् ज्ञात्वा भोजनाय कथं न आगमिष्यामि - यह जानकर भोजन के लिए कैसे नहीं आऊँगा । 4. प्रातर् एव उत्तिष्ठ व्यायामं च कुरु-सवेरे ही उठ और व्यायाम कर । 5. त्वं प्रातः वनं किमर्थं गच्छसि - तू सवेरे वन को क्यों जाता है ? 6. तत्र प्रातः शुद्धः वायुः भवति-वहाँ सवेरे शुद्ध वायु होती है । I 7. किं नगरे शुद्धः वायुः न भवति-क्या शहर में शुद्ध वायु नहीं होती ? 8. नगरे शुद्धः वायुः कदापि न भवति - शहर में शुद्ध वायु कभी नहीं होती 9. त्वम् अत्र सायङ्कालपर्यन्तं स्थातुं शक्नोषि किम् - तू यहाँ शाम तक ठहर सकता है क्या ? 10. सः अतीव दुर्बलः जातः, अतः गन्तुं न शक्नोति - वह बहुत ही दुर्बल हो गया है, इसलिए जा नहीं सकता । 11. त्वम् इदानीं ज्वरितः असि, अतः अल्पम् अन्नं भक्षय - तू अब ज्वर युक्त है, इसलिए थोड़ा अन्न खा । 12. सः किमर्थं मार्जारं ताडयति-वह बिल्ली को क्यों मारता है ? 13. सः कदा नीरोगः भविष्यति - वह कब स्वस्थ होगा ? 14. आकाशे तारकान् पश्य - आकाश में तारे देख । 15. बालकः वने क्रीडति किम्-क्या बालक वन में खेलता है ? 69
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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