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________________ स्तोतृ-स्तुति करनेवाला। सत्कर्तु-सत्कार करनेवाला। संस्कर्तु-संस्कार करनेवाला। संहर्तु-संहार करनेवाला। वाक्य 1. अत्ता अन्नम् अत्ति-खानेवाला अन्न खाता है। 2. अत्रे अन्नं देहि-खानेवाला को अन्न दे। 3. ज्ञात्रा ज्ञानं ज्ञातम्-ज्ञानी ने ज्ञान जाना। 4. ज्ञात्रे नमः कुरु-ज्ञानी के लिए नमस्कार कर। 5. निहन्त्रा व्याघ्रः हतः-मारनेवाले ने शेर मारा। 6. भर्तुः सेवा कर्त्तव्या-पति की सेवा करनी चाहिए। 7. स्तोतुः स्तोत्रं श्रृणु-स्तोता की स्तुति सुन। 8. धान्यस्य विक्रेता कुत्र गतः-धान्य बेचनेवाला कहाँ गया ? 9. अध्येत्रे पुस्तकं देहि-पढ़नेवाले को पुस्तक दे। 10. अश्वस्य क्रेता अत्र आगतः-घोड़े का ख़रीदार यहाँ आया। 11. अश्वस्य चोरयिता नगरे अस्ति-घोड़े को चुरानेवाला शहर में है। 12. अन्नस्य संस्कर्ता मम गृहे अन्नं संस्करोति-अन्न का संस्कार करनेवाला मेरे घर में अन्न को ठीक करता है। 13. व्याकरणस्य अध्येता अद्य न आगतः-व्याकरण अध्ययन करनेवाला आज नहीं आया। शब्द धूमः-धुआँ। शास्त्रम्-शास्त्र। यामि-जाता हूँ। वसति-(वह) रहता है। वससि-(तू) रहता है। वसामि-रहता हूँ। यासि-(तू) जाता है। याति-(वह) जाता है। उदकम्-जल। गुणः-गुण। संस्कृत वाक्य यत्र धूमः तत्र अग्निः अस्ति। अहं तं ग्रामं गच्छामि, यत्र वेदस्य ज्ञाता वसति। तस्मै गुरवे नमः। नृपतिः शास्त्रस्य ज्ञाने द्रव्यं ददाति। यस्य बुद्धिः बलम् अपि तस्य एव । शत्रु भूपतिः जयति । अहं सायं नगराद् बहिः गच्छामि। तस्य हस्तात् माला पतिता। सः एव पर्वतः यत्र वसिष्ठः मुनिः वसति। व्याघ्रात् भयं भवति। गुरोः ज्ञानं भवति। मृगः वनात् वनं गच्छति।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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